बलात्कार के आरोपित नाना को, आजीवन कारावास की सजा

बलात्कार के आरोपित नाना को, आजीवन कारावास की सजा

झुंझुनू।  जिले के नवलगढ़ थानान्तर्गत स्थित गांव बड़वासी में 21 मार्च को ढाई साल की मासूम से दुष्कर्म के मामले में पोक्सो कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया है। फैसले में आरोपित की प्राकृतिक मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। कारावास के साथ साथ आरोपित पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

गौरतलब है कि मामले को लेकर पुलिस ने 17 दिन में ही कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी। लेकिन कोरोना के कारण कोर्ट में ट्रायल नहीं चल पाया। इस मामले की पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेंद्रसिंह शेखावत ने बताया कि लगातार 26 जुलाई से इसका ट्रायल कर सभी गवाहों का बयान कर महज 12 दिन में इंसाफ दिलाया गया है। इस दौरान भी छुट्टी के दिन कोर्ट में ट्रायल नहीं हो पाया।

उल्लेखनीय है कि पीड़िता की मां घटना से करीब 15 दिन पहले से अपने ननिहाल आई हुई थी। 21 मार्च की शाम को अपने मामा के भरोसे ढ़ाई साल की मासूम बेटी को घर पर छोड़कर परिवारजनों के साथ मंदिर चली गई। पीछे से मौका पाकर रिश्ते में बच्ची के नाना ने मानवता को शर्मसार करने वाले जघन्य कांड को अंजाम दिया और बच्ची को तड़पता छोड़कर फरार हो गया। पड़ौस के किसी व्यक्ति ने घटना की सूचना अभय कमांड सेंटर झुंझुनू को दी। कमांड सेंटर से रात्रि में नवलगढ़ पुलिस थाना में सूचना आई तो मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएसपी सतपालसिंह को सूचित किया गया। पुलिस ने तत्परता से टीम गठित कर पहले मामले की पुष्टि की और रातों रात आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।
जांच अधिकारी डीएसपी सतपालसिंह ने बताया कि लोकलाज के डर से पीड़िता बच्ची के परिजन कोई कार्रवाई नहीं चाह रहे थे। मुश्किल से उनको समझा बुझाकर बच्ची को राजकीय उपजिला अस्पताल लाया गया। जहां पर डॉ. नेहा चौधरी, डॉ. प्रमोद जांगिड़ व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपचंद जांगिड़ को शामिल कर मेडिकल बोर्ड गठित कर बच्ची का मेडिकल करवाया गया। जिसमें बलात्कार की पुष्टि हुई। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी मौके पर पहुंचे।

गांव के लोगों से जानकारी जुटाई व एसएफएल टीम को मौके पर बुलाकर सबूत एकत्रित किए तथा आरोपित को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद बच्ची को गंभीर अवस्था में जयपुर जेके लोन अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां पर उसके दो ऑपरेशन हुए। जेके लोन अस्पताल से भी बच्ची के परिजन ईलाज के दौरान बीच में ही घर लाना चाह रहे थे। पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी द्वारा जेके लोन के चिकित्सकों को विशेष निर्देश दिए। जिससे बच्ची को ईलाज करने के बाद ही घर भिजवाया गया।

मुकदमे के जांच अधिकारी पुलिस उपअधीक्षक सतपालसिंह ने बताया कि 22 मार्च को मुकदमा दर्ज होने के बाद उसी दिन आरोपी को न्यायालय में पेश कर दिया गया था। पुलिस टीम के सक्रिय सहयोग से 17 दिन बाद 8 अप्रेल को चालान पेश कर दिया गया था। न्यायालय में चले मुकदमे में आरोपित को सजा दिलवाने में विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेंद्रसिंह की भी विशेष भूमिका रही।

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