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राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पहली बैठक हुई संपन्न, मखाना क्षेत्र का होगा समग्र विकास

राघवेन्द्र प्रताप सिंह: राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पहली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली के कृषि भवन में हुई। बैठक की अध्यक्षता कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने की। बैठक में बोर्ड और केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम को लागू करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया। बोर्ड ने राज्यों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा जमा की गई वार्षिक कार्य योजना की समीक्षा की और इस क्षेत्र के समग्र विकास के उद्देश्य से अलग-अलग हिस्सों के लिए बजट आवंटित किए।

बोर्ड की बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि राज्यों की बीज की ज़रूरत को पूरा करने के लिए एसएयू सबौर और सीएयू समस्तीपुर, बिहार को इस वर्ष और अगले वर्ष आपूर्ति करनी होगी। राज्य कृषि विश्वविद्यालय, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बिहार और एनआरसी मखाना दरभंगा, अलग-अलग राज्यों के प्रशिक्षकों को मखाना मूल्य शृंखला के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीय पहलुओं का प्रशिक्षण देंगे, ताकि पारंपरिक और गैर-पारंपरिक इलाकों में मखाना की खेती को आसान बनाया जा सके। बोर्ड ने ज़रूरत के हिसाब से अनुसंधान, खेती और प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकी के विकास, ग्रेडिंग, ड्राइंग, पॉपिंग और पैकेजिंग के लिए अवसंरचना, खेती के नए तरीकों को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, मार्केट लिंकेज और निर्यात की तैयारी पर भी ज़ोर दिया।

राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की पृष्ठभूमि:

केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 की घोषणा को पूरा करते हुए राष्ट्रीय मखाना बोर्ड बनाया है। प्रधानमंत्री ने आधिकारिक रूप से 15 सितंबर 2025 को बिहार में बोर्ड को आरंभ किया था। यह भारत के मखाना क्षेत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।

सरकार ने इस पहल का समर्थन करने के लिए 2025-26 से 2030-31 के समय के लिए ₹476.03 करोड़ के खर्च के साथ मखाना के विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम को स्वीकृति दी है। यह स्कीम अनुसंधान और नवाचार, गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन, किसानों की क्षमता बढ़ाने, बेहतर कटाई और कटाई के बाद के तरीके, मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और मार्केटिंग, निर्यात प्रोत्साहन और गुणवत्ता नियंत्रण पर केंद्रित है।

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