भारत में हुआ नई धूल नियंत्रण प्रौद्योगिकी का आविष्कार

व्यूरो :   सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), रांची (कोल इंडिया लिमिटेड की एक सलाहकार सहायक कंपनी) ने उड़ने वाली धूल के उत्पादन और उसे नियंत्रित करने के लिए सिस्टम एवं मेथड का आविष्कार किया है और इसे दिसंबर, 2022 में पेटेंट मिला है । इसकी पेटेंट संख्या 416055 है।

इससे खनन क्षेत्रों में उड़ने वाली धूल को कम करने और उसे नियंत्रित करने में मदद मिलेगी । यह प्रौद्योगिकी कोयला खदानों, ताप विद्युत संयंत्रों, रेलवे साइडिंग और बंदरगाहों में उपयोगी होगी। यह प्रणाली खुले स्रोतों से धूल उत्पादन को कम करने के अतिरिक्त शोर को कम करेगी।

कोयला मंत्रालय के अंतर्गत कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी तरीके से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन का प्रयास करते हैं। कोयला खनन और संबंधित गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम विभिन्न उपायों को अपना रहे हैं। फ्यूजिटिव डस्ट पार्टिकुलेट मैटर का एक रूप है जो हवा के संपर्क में आने वाले स्रोतों से उत्पन्न होता है और जो सीमित प्रवाह धारा के माध्यम से वायुमंडल में नहीं आ पाते हैं।

वर्तमान आविष्कार उड़ने वाली धूल के उत्पादन और फैलाव को घटाने के लिए विंडब्रेक (डब्‍ल्‍यूबी) और वर्टिकल ग्रीनरी सिस्टम (वीजीएस) के सिंक्रोनाइज्ड एप्लिकेशन से संबंधित है। डब्‍ल्‍यूबी और वीजीएस को क्रमश: उड़ने वाली धूल के स्रोतों के संबंध में ऊपर में और नीचे की दिशा में बनाया जाता है।

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