2033 तक 42.42 मिलियन तक पहुंच जाएंगे एटोपिक डर्माटाइटिस के मामले : रिपोर्ट
नई दिल्ली । सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक दीर्घकालिक त्वचा रोग) का वैश्विक प्रसार 2033 तक 42.42 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट से पता चला है कि एटोपिक डर्माटाइटिस के 12 महीने में पता लगाए गए प्रचलित मामलों का वैश्विक बोझ 2023 में 42.02 मिलियन मामलों से 0.10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) से बढ़कर 2033 में 42.42 मिलियन मामलों तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, यूके और जापान में विशेष रूप से होगी।
रिपोर्ट से पता चलता है कि एक्जिमा के नाम से पहचाने जाने वाले एटोपिक डर्माटाइटिस के मामले पर्यावरण और जीवनशैली से जुड़े जोखिम कारकों के बढ़ते प्रचलन और वयस्कता में एटोपिक डर्माटाइटिस की घटनाओं में वृद्धि के कारण बढ़ रहे हैं। इसके कारण मरीज को सूजन, लालिमा और तेज खुजली जैसे लक्षण दिखाई देते है।
ग्लोबलडाटा के महामारी विज्ञानी यिक्सुआन झांग ने कहा, एटोपिक डर्मेटाइटिस (अल्सरगिक त्वचा रोग) रोग कैसे होता है अभी तक इसका कारण स्पष्ट नहीं है और इस बात की सबसे अधिक संभावना है कि यह आनुवंशिक संवेदनशीलता, पर्यावरणीय और जीवन शैली संबंधी कारणों से होता है।
ग्लोबलडाटा महामारी विज्ञानियों के अनुसार, 2023 में सात प्रमुख बाजारों में एटोपिक डर्माटाइटिस के हल्के 12-महीने के निदान वाले प्रचलित मामलों में से लगभग 44 प्रतिशत, एटोपिक डर्माटाइटिस के मध्यम मामलों में से 42 प्रतिशत और एटोपिक डर्माटाइटिस के गंभीर मामलों में से 14 प्रतिशत थे।
एटोपिक डर्माटाइटिस एक जटिल बीमारी है, जिसमें रोगी की गंभीरता के आधार पर कई लक्षण दिखाई देते है। गंभीर मामलों में एटोपिक डर्माटाइटिस नींद की गड़बड़ी से जुड़ा होता है, जो त्वचा पर खुजली वाले चकत्ते के कारण होता है, जो अवसाद, चिंता और के दौरान दिखाई देते हैं।
झांग ने कहा, सबसे मामले बचपन में दिखाई देते है, उसके बाद मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध आबादी का स्थान आता है। किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और बीमारी के बोझ के बीच सकारात्मक सहसंबंध पाया गया है।
कम आय वाले देशों में एटोपिक डर्मेटाइटिस का प्रचलन बढ़ रहा है और वयस्कों में एटोपिक डर्मेटाइटिस की नई शुरुआत तेजी से आम होती जा रही है।