पीटी उषा ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी डोपिंगरोधी किटों के उत्पादन का आग्रह किया

भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य पी टी उषा ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी डोपिंगरोधी परीक्षण किटों के उत्पादन को बढ़ावा देने का आग्रह किया और बोला कि इससे न केवल लागत कम होगी बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

उषा ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया और कहा कि परीक्षण किट आयात करने से परिणामों में देरी होती है और ऐसे में विदेशी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ जाती है। एक विश्वसनीय सूत्र के अनुसार वर्तमान में दो स्विस कंपनियां बर्लिंगर और लॉककॉन भारत में इन परीक्षण किटों की आपूर्ति कर रही हैं।

उषा ने कहा, ‘‘मैं इस सदन का ध्यान एक ऐसे मामले की तरफ खींचना चाहती हूं जो हमारे खिलाड़ियों की गरिमा और हमारे राष्ट्र की वैश्विक छवि को प्रभावित करता है।

साभार : गूगल

भारत को डोपिंग मुक्त खेल राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत डोपिंगरोधी किटों के स्वदेश में उत्पादन को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डोपिंग बड़ा खतरा है जो निष्पक्ष खेल, खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और विश्व मंच पर हमारे देश की प्रतिष्ठा को लगातार खतरे में डाल रहा है।

अभी हम उच्च गुणवत्ता वाले अधिकतर डोप परीक्षण किटों को आयात कर रहे हैं। इसमें काफी लागत आती है, परीक्षण में देरी होती है और बाहरी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ जाती है।’’

भारत 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए बोली लगा रहा है और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश को अपने डोपिंग रिकॉर्ड में काफी सुधार करना होगा। इस समस्या से निपटने में भारत की स्थिति खराब है और डोपिंग के मामले में वह नियमित रूप से दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल रहता है।

खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने एक सप्ताह पहले राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार डोपिंग विरोधी उपायों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके बाद ही अब उषा का यह बयान सामने आया है।

खेल मंत्री ने कहा था कि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने अपनी परीक्षण क्षमता में काफी वृद्धि की है और वर्तमान वर्ष में 7751 डोप परीक्षण करने की योजना है, जो 2024 में किए गए 7474 और 2023 में किए गए 5794 परीक्षणों की तुलना में अधिक है।

उषा ने कहा कि स्वदेशी डोप परीक्षण किटों का होना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि इससे अनुसंधान, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत आत्मनिर्भर बन सकता है और विश्व भर में डोपिंगरोधी उपकरणों का आपूर्तिकर्ता भी बन सकता है। इस तरह की पहल से न केवल लागत कम होगी बल्कि परीक्षण में तेजी आएगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और खेल के सभी स्तरों में डोपिंग पर रोक लगाने का तंत्र मजबूत होगा।’’

डोपिंग रोधी एजेंसियों की कार्यप्रणाली से अच्छी तरह से अवगत मंत्रालय के एक सूत्र ने उषा के बयान का स्वागत किया लेकिन साथ ही कहा, ‘‘डोपिंग रोधी किट बेहद संवेदनशील होती हैं, जिनमें मामूली टूट-फूट भी परीक्षण के परिणामों पर संदेह पैदा कर सकती है।

हमें उनके सुझाव के अनुसार योजना पर काम करना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार में सर्वश्रेष्ठ किट ही उपलब्ध हों।’’

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