मेसी के दीवानों का सपना सच : चाय वाले पात्रा और कैफे मालिक की मुलाकात

इच्छापुर में चाय बेचने वाले शिब शंकर पात्रा के लिए अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी का भारत आना एक ऐसा अवसर है, जिसे देखकर उन्हें लगता है कि उनका सपना सच हो गया। वह यह मानते हैं कि यह लम्हा देखने के लिए ही ईश्वर ने उनकी जान बचाई।

56 वर्षीय पात्रा उन दो प्रशंसकों में से हैं जिन्हें मेस्सी से मुलाकात के लिये चुना गया है। पात्रा की कहानी मीडिया में वायरल होने के बाद आयोजकों ने मुलाकात के लिये उन्हें चुना। एक समय क्लब स्तर पर खेलने वाले पात्रा पूरी जिंदगी अर्जेंटीना और मेस्सी के धुर समर्थक रहे।

इससे पहले 2011 में जब वेनेजुएला के खिलाफ फीफा का दोस्ताना मैच खेलने मेस्सी यहां आये थे तब नवाबगंज में पात्रा ने अपना पूरा घर नीले और सफेद से रंग दिया था।

Getty Images via AFP

इसके अलावा दशकों पुराना टी स्टाल भी ‘अर्जेंटीना फैन क्लब’ बना दिया जिसके प्रवेश पर मेस्सी का आदमकद स्टैच्यू लगाया था। भीतर दीवारें और दरवाजे भी अर्जेंटीना के रंगों में रंगे थे। स्थानीय लोग चाय और फुटबॉल अड्डा के लिये एकत्र होते थे जबकि आगंतुकों के लिये यह ‘सेल्फी प्वाइंट’ बन गया था।

पात्रा की बेटी नेहा ने 2022 में अपनी शादी में अर्जेंटीना टीम के रंगों की सजावट की थी। उन्होंने इस मौके पर रक्तदान शिविर भी आयोजित किये।

पात्रा का हाल ही में दिल का आपरेशन हुआ और उन्हे पेसमेकर लगवाना पड़ा। इस दौरान उनके छोटे से व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और उनका कहना है कि मेस्सी से मिलने की चाहत ने ही उन्हें जिंदा रखा।

उनके परिवार ने शनिवार को होने वाले कार्यक्रम के सात सात हजार रूपये के दो टिकट खरीदे जो उनके लिये महंगे थे। इसके बाद आयोजक सताद्रु दत्ता ने निजी तौर पर उन्हें मेस्सी के होटल में ‘मीट एंड ग्रीट’ कार्यक्रम में बुलाया।

पात्रा की पत्नी स्वप्ना ने कहा ,‘‘ हम उनसे मिलने को बेकरार हैं। हमने उन्हें देखने का सपना हमेशा से देखा था जो अब सच होने जा रहा है। दिल के आपरेशन के बाद लगता है कि मेस्सी को देखने के लिये ही उनकी जान बच गई। हम कल सुबह सात बजे उनके होटल जायेंगे।’’

वहीं मेस्सी थीम के दम दम लियो कैफै के मालिक सौमिंद्र घोष को भी अपने पसंदीदा फुटबॉलर से मिलने का मौका मल रहा है। सिविल इंजीनियर और मेस्सी के फैन घोष अपने कैफे को मेस्सी को समर्पित मंदिर मानते हैं।

इसकी दीवारों पर मेस्सी की तस्वीरें हैं। बारहवीं में अच्छे नंबर नहीं आने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री तो ले ली लेकिन नौकरी नहीं मिलने से अवसाद में चले गए।

इसके बाद मेस्सी की कही एक बात उनके दिल को छू गई ,‘ मैं रातोरात कामयाब नहीं हुआ। यह कड़ी मेहनत और जुनून का नतीजा है।’’ इसके बाद उन्होंने कैफे खोला जो लोकप्रिय हो गया।

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