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ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, भारत पर बढ़ाए गए टैरिफ पर बड़ी लड़ाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने टैरिफ सिस्टम को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि ये टैरिफ उनकी आर्थिक नीति का हिस्सा हैं और साथ ही यूक्रेन युद्ध खत्म करने की कोशिशों में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

ट्रंप ने किया कानून का उल्लघंन
बता दें कि मामला शुरू हुआ पिछले हफ्ते, जब अमेरिकी अपील कोर्ट ने 7–4 के फैसले में ट्रंप के कई टैरिफ को अवैध करार दिया. हालांकि कोर्ट ने फिलहाल इन्हें हटाने से मना कर दिया और सरकार को अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय दे दिया. निचली अदालत पहले ही कह चुकी थी कि ट्रंप ने IEEPA यानी International Emergency Economic Powers Act की सीमाओं से बाहर जाकर टैरिफ लगाया है.

ट्रंप प्रशासन ने क्या कहा?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत ने रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीदे, और इसी वजह से IEEPA के तहत भारत पर नए टैरिफ लगाए गए. इसे उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी आपात स्थिति से निपटने का कदम बताया.

भारत पर 50% टैरिफ का अटैक
सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब भारतीय सामानों पर डबल टैरिफ लगा दिया गया. दरअसल, ट्रंप ने टैरिफ को 50% तक बढ़ा दिया. आधा हिस्सा रूस से तेल खरीदने पर भारत को सजा देने के लिए और बाकी हिस्सा उनकी अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत व्यापार घाटा घटाने के लिए.

कोर्ट में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दस्तावेज़ में ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा कि टैरिफ के साथ अमेरिका अमीर है और बिना टैरिफ के गरीब। एक साल पहले अमेरिका खत्म हो चुका था, लेकिन अब ट्रिलियनों डॉलर वसूलकर हम फिर से मजबूत और सम्मानित देश बन गए हैं.

कोर्ट का क्या कहना है?
कानून के लिहाज से देखें तो IEEPA राष्ट्रपति को आपातकाल में आर्थिक प्रतिबंध लगाने की ताकत देता है, लेकिन कोर्ट का कहना है कि टैरिफ, टैक्स या ड्यूटी लगाने का अधिकार इसमें शामिल नहीं है.

डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
ट्रंप ने कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अपील कोर्ट ने गलत कहा कि हमारे टैरिफ हटाए जाएं, लेकिन सब जानते हैं, आखिर में अमेरिका ही जीतेगा”.

क्या होगा फैसला?
इस पूरे विवाद ने अब अमेरिका की राजनीति और व्यापार दोनों को गर्मा दिया है. आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ट्रंप की आर्थिक रणनीति और वैश्विक रिश्तों के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है.

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