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National News: क्या कश्मीर का नाम बदलेगी केंद्र सरकार…जानिए क्यों लग रही हैं ये अटकलें

बीएस राय: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘जेएंडके एंड लद्दाख थ्रू द एजेस’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा कि कश्मीर का ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक योगदान अद्वितीय है। उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 हटने से विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। शाह ने स्थानीय भाषाओं और भारत की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने पर जोर दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में ‘जेएंडके एंड लद्दाख थ्रू द एजेस’ पुस्तक का विमोचन किया और कश्मीर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कश्मीर के नाम और संस्कृति की ऐतिहासिक गहराइयों पर प्रकाश डाला और इसे भारतीय संस्कृति की नींव बताया।

अमित शाह ने कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिश मठ जैसे ऐतिहासिक साक्ष्यों का जिक्र किया और इसे भारतीय संस्कृति का आधार बताया। सूफी, बौद्ध और शैल मठों ने कश्मीर की संस्कृति को समृद्ध किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कश्मीर ने हमेशा भारत के सांस्कृतिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि कश्मीरी, डोगरी, बाल्टी और झांकरी जैसी भाषाओं को सरकार की मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी के विजन को दर्शाता है जिसमें स्थानीय भाषाओं और संस्कृतियों का संरक्षण प्राथमिकता है।

अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और 35ए को भारत और कश्मीर के बीच दीवार बताया। उन्होंने कहा कि इन धाराओं ने युवाओं में अलगाववाद के बीज बोए और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया। लेकिन, मोदी सरकार ने इस कलंकित अध्याय को समाप्त कर कश्मीर में विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी सीमाएं सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर निर्धारित होती हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और गांधार से ओडिशा तक भारत की विविधता इसकी सांस्कृतिक एकता का प्रमाण है।

शाह ने पुस्तक में लद्दाख और कश्मीर में तोड़े गए मंदिरों, संस्कृत भाषा के प्रयोग और आजादी के बाद गलतियों और सुधारों की प्रक्रिया का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास लुटियन दिल्ली से नहीं, बल्कि साक्ष्य और सत्य के आधार पर लिखा जाना चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि इसकी आत्मा का अभिन्न अंग है। उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नारे को दोहराया कि कश्मीर के सांस्कृतिक गौरव को बहाल किया जाएगा।

अंत में उन्होंने देश के इतिहासकारों से साक्ष्य के आधार पर भारत के इतिहास को फिर से लिखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर का इतिहास और संस्कृति भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।

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