पनामा नहर : ट्रंप की धमकी पर क्या बोले पनामाई राष्ट्रपति ?

 पनामा के विद्वानों ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर को वापस लेने की धमकी को हास्यास्पद बताया है। वहीं राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ऐलान कर दिया है कि नहर पनामा के हाथों में बनी रहेगी।

ट्रंप ने शनिवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा कि पनामा नहर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पनामा से नहर पर शुल्क कम करने या इसे अमेरिकी नियंत्रण में वापस देने की मांग की।

पनामा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोन्स कूपर ने कहा, यह हास्यास्पद है। उन्होंने कहा, पनामा नहर का असली मालिक है और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास इसे वापस लेने का कोई कानूनी आधार नहीं है। अमेरिका ने अपने कब्जे के दौरान काफी लाभ कमाया जबकि पनामा को बदले में बहुत कम फायदा हुआ।

पनामा के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विद्वान जूलियो याओ ने ट्रंप की टिप्पणी को अमेरिकी बड़ी छड़ी नीति का नवीनतम उदाहरण बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पनामा नहर को अमेरिका को वापस नहीं किया जाना चाहिए।

1977 में तत्कालीन पनामा के राष्ट्रपति उमर टोरिजोस और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित टोरिजोस-कार्टर संधियों के तहत, पनामा ने 31 दिसंबर, 1999 को नहर पर अपनी संप्रभुता फिर से हासिल कर ली थी।

इससे पहले रविवार को, पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने कहा कि नहर पनामा के हाथों में बनी रहेगी।

मुलिनो ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट में कहा कि पनामा नहर और उसके आस-पास के क्षेत्र का प्रत्येक वर्ग मीटर पनामा का है और ऐसा ही रहेगा। हमारे देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

ट्रंप ने शनिवार को पनामा नहर को अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति बताया। उन्होंने अमेरिकी जहाजों पर अत्यधिक कीमतों का हवाला देते हुए नहर को फिर से अपने कब्जे में लेने की धमकी दी।

पनामा के राष्ट्रपति ने कहा, नहर हमारे देश की अविभाज्य विरासत के रूप में पनामा के हाथों में रहेगी और सभी देशों के जहाजों के शांतिपूर्ण और निर्बाध पारगमन के लिए इसके उपयोग की गारंटी देगी।

Related Articles

Back to top button