इजरायली डीएम ने लेबनान में चौकी का किया दौरा, संघर्ष विराम के उल्लंघन पर कार्रवाई की धमकी दी

यरूशलम। इजरायल के रक्षा मंत्री, इजरायल काट्ज ने दक्षिणी लेबनान में इजरायली सेना की चौकी का दौरा किया और चेतावनी दी कि अगर हिजबुल्लाह मौजूदा युद्ध विराम समझौते के तहत लितानी नदी के पार पीछे हटने में नाकाम रहता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

27 नवंबर से प्रभावी यह संघर्षविराम समझौता हिजबुल्लाह से मांग करता है कि वह अपने लड़ाकों और हथियारों को लितानी नदी के उत्तर में ले जाए और इजरायली सैनिकों को 60 दिनों के भीतर ब्लू लाइन के दक्षिण से पूरी तरह बाहर निकाल दे। इसके अलावा, लेबनानी सेना ने लेबनान के सीमावर्ती इलाकों पर कब्जा कर लिया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, काट्ज़ ने रविवार को उस चौकी का दौरा किया, जो लेबनान के मारुन अल-रास और यारून गांवों को देखती है। इस यात्रा का उद्देश्य युद्ध विराम समझौते के अगले चरणों से पहले सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी करना था।

काट्ज़ ने बयान में चेतावनी दी अगर हिजबुल्लाह ने संघर्षविराम का उल्लंघन करने की कोशिश की, तो हम उसे सख्त जवाब देंगे।

उन्होंने क्षेत्र में हिजबुल्लाह को अपने सैन्य ढांचे को फिर से बनाने से रोकने के लिए इजरायल के मजबूत इरादे पर जोर दिया, क्योंकि उनका कहना था कि यह उत्तरी इजरायल के समुदायों के लिए खतरा बन सकता है।

रक्षा मंत्री ने सीमा पर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करने और युद्ध विराम समझौते के अगले चरणों की तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिए वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की।

इजरायल और लेबनान के बीच सीमा पर नाजुक शांति बनी हुई है, क्योंकि युद्धविराम समझौते ने इजरायली बलों और हिजबुल्लाह के बीच 14 महीने की लड़ाई को समाप्त कर दिया है। हालांकि, इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने संघर्षविराम का उल्लंघन करने वाले हिजबुल्लाह के आतंकवादियों को निशाना बनाते हुए लेबनान में कुछ छोटे हमले किए हैं।

इस बीच, रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिजबुल्लाह ने बार-बार होने वाले इजराइली हमलों के जवाब में एक बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है।

इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौता 27 नवंबर से लागू हुआ, जिससे 8 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुए संघर्ष का अंत हो गया।

समझौते में कहा गया है कि इजरायल 60 दिनों के भीतर लेबनानी क्षेत्र से हट जाएगा और लेबनानी सेना को लितानी नदी के दक्षिण में तैनात किया जाएगा, ताकि वह वहां हथियारों और आतंकवादियों की किसी भी मौजूदगी को रोक सके।

इस समझौते में फ्रांस, यूनिफिल बलों, और लेबनानी और इजरायली सेनाओं की भागीदारी के साथ, अमेरिका की अध्यक्षता में एक तंत्र भी स्थापित किया गया है, जो समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा।

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