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Shahi Jama Masjid Survey Report : कोर्ट कमिश्नर ने मांगा 15 दिन का समय, जानिए मुस्लिम पक्ष ने क्यों जतायी आपत्ति

बीएस राय: संभल में शाही जामा मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर की ओर से 15 दिनों के भीतर दाखिल किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि उन्होंने सोमवार को स्थानीय अदालत के समक्ष बीमारी का हवाला देते हुए और समय मांगा । हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी और उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि वह बार बार समय की मांग क्यों कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वह वादी पक्ष से मिले हुए हैं।

कोर्ट कमिश्नर, अधिवक्ता रमेश सिंह राघव के मुताबिक, सिविल कोर्ट (वरिष्ठ डिवीजन) ने विस्तार याचिका पर विचार करते हुए इसे “फाइल पर रखें” के रूप में चिह्नित किया है। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर दाखिल की जाएगी।

राघव ने कहा, “मैंने माननीय अदालत से 15 दिनों का समय मांगा था, लेकिन मेरे आवेदन पर ‘फाइल पर रखें’ के रूप में चिह्नित किया गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश दिया है कि निचली अदालत कोई आदेश पारित नहीं करेगी। अब हाईकोर्ट में 6 जनवरी की तारीख तय की गई है और हम 15 दिनों से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।”

इससे पहले उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट तैयार है, जो अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण मैंने अदालत से 15 दिन का समय मांगा है। मुझे तीन-चार दिन से बुखार था। मैं अभी तक रिपोर्ट का विश्लेषण नहीं कर पाया हूं।” मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शकील अहमद वारसी ने कहा कि आयुक्त ने 15 दिन का और समय मांगा, जिस पर उन्होंने लिखित में आपत्ति जताई।

उन्होंने दावा किया, “अदालत ने उन्हें कोई समय नहीं दिया। आज रिपोर्ट न तो दाखिल की गई है और न ही दाखिल की जाएगी। उन्होंने पहले 19 नवंबर को सर्वेक्षण किया, फिर 24 नवंबर को अदालत की अनुमति के बिना सर्वेक्षण किया।” वारसी ने कहा, “उन्हें 29 नवंबर को रिपोर्ट जमा करनी थी। फिर उन्होंने और समय मांगा। फिर कोर्ट ने 10 दिन और दिए। अब वे फिर से 15 दिन और मांग रहे हैं। जब आयोग का गठन हो चुका है, तो फिर देरी क्यों हो रही है? हमने मस्जिद की ओर से आपत्ति दर्ज कराई है। वे वादी पक्ष से मिले हुए हैं। वे रिपोर्ट क्यों नहीं दाखिल करना चाहते? क्या वे आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं? हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे।

वारसी ने कहा कि मामला आगे नहीं बढ़ेगा। जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई निर्देश नहीं आता…हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे।” 19 नवंबर को स्थानीय कोर्ट ने हिंदू पक्ष की दलील पर गौर करने के बाद एक अधिवक्ता आयुक्त द्वारा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एकपक्षीय आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करके किया था।

दरअसल, 24 नवंबर को दूसरे दौर के सर्वेक्षण के दौरान विरोध कर रहे स्थानीय लोगों की सुरक्षा कर्मियों से झड़प हुई, जिसके कारण बड़ी हिंसा हुई जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।

मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे और मस्जिद की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता जफर अली ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी। उन्होंने कहा, “अगली कार्यवाही उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद शुरू होगी, उससे पहले कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।”

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 29 नवंबर के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उसने संभल ट्रायल कोर्ट से मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद और उसके सर्वेक्षण से संबंधित मामले की कार्यवाही रोकने को कहा था और उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया था।

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