क्या आप जानते हैं नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी? जानें पौराणिक कथा
नवरात्रि, हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इस दौरान भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई? जानिए नवरात्रि से जुड़ी दो पौराणिक कथाओं के बारे में.
नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इस साल यह पर्व 3 अक्तूबर से शुरू होने वाला है. इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और भक्तगण 9 दिनों तक व्रत रखते हैं. नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के संचार से भी जुड़ा है. माता दुर्गा की आराधना से सुख-समृद्धि और उन्नति के रास्ते खुलते हैं. यह त्योहार पौराणिक समय से मनाया जाता आ रहा है और इससे जुड़ी कई रोचक कथाएं हैं. ऐसे में आज हम आपको नवरात्रि से जुड़ी दो प्रमुख पौराणिक कथाओं के बारे में बताएंगे.
नवरात्रि की पहली कथा: देवी दुर्गा और महिषासुर का युद्ध
पहली पौराणिक कथा देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर की है. महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने अपनी शक्ति के बल पर स्वर्ग और पृथ्वी पर भारी उत्पात मचाया था. उसने भगवान ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई देव, दानव या मनुष्य नहीं मार सकता. इस वरदान के कारण वह अजेय हो गया और सभी देवता उससे भयभीत थे. अंततः भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा को प्रकट किया और उन्हें सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र दिए.
इसके बाद देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ. महिषासुर ने अनेक रूप धारण किए, लेकिन देवी दुर्गा ने हर रूप में उसे पराजित किया और अंत में उसका वध किया. इसी दिन को महिषासुर मर्दिनी के रूप में देवी दुर्गा की विजय के रूप में मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के महिषासुर पर विजय की याद में माता की पूजा की जाती है.
नवरात्रि की दूसरी कथा: रामायण से जुड़ी कथा
दूसरी पौराणिक कथा रामायण से जुड़ी है. भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना की थी. यह युद्ध लंका में लड़ा गया था, जहां रावण ने माता सीता का अपहरण किया था. भगवान राम की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया. दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया, जिसे आज विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है. इस कथा के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिनों में भगवान राम द्वारा देवी दुर्गा की आराधना और दसवें दिन रावण पर विजय की याद में यह पर्व मनाया जाता है.
बता दें कि नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत, आस्था, शक्ति और भक्ति का प्रतीक है. इन पौराणिक कथाओं के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और शक्ति के माध्यम से जीवन में हर संकट का सामना किया जा सकता है.