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ओलंपिक डेब्यू की तैयारी में निकहत जरीन ने अपनाई ये खास रणनीति

दो बार की विश्व विजेता मुक्केबाज निकहत जरीन ओलंपिक डेब्यू से तीन महीने दूर हैं और इसकी तैयारी के लिए वह ‘एनर्जी सेविंग मोड’ में आ चुकी हैं।

साभार : गूगल

‘एनर्जी सेविंग मोड’ (ऊर्जा बचाते हुए खुद को तरोताजा रखने के लिए) के तहत वह सोशल मीडिया से दूर हो चुकी हैं, अकेला रहना पसंद कर रही हैं, कभी कभी मिठाई खाने से परहेज नहीं कर रहीं और नेटफ्लिक्स पर फिल्में और सीरीज देख रही हैं।

पेरिस ओलंपिक में 50 किग्रा वर्ग की प्रबल दावेदारों में शुमार जरीन का मानना है कि ऐसी गतिविधियां जो भले ही कईयों को आरामदायक लगें, उनके लिए यह 26 जुलाई को पेरिस में शुरू होने वाले ओलंपिक से पहले खुद को शांतचित्त बनाये रखने का तरीका है।

जरीन ने पटियाला से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सच कहूं तो मैं अब भी ओलंपियन बनने के अहसास से गुजर रही हूं। जैसे जैसे दिन आगे बढ़ रहे हैं, मेरी घबराहट बढ़ती जा रही है। मैं अपना दिमाग अच्छे प्रदर्शन पर ध्यान लगाये रखने पर लगा रही हूं।

हैदराबाद की जरीन पूर्व जूनियर विश्व विजेता है। उन्होंने 2022 और 2023 में सीनियर विश्व खिताब जीते। 2022 सत्र इतना शानदार रहा कि उन्हें किसी भी मुकाबले में हार नहीं मिली और वह उम्मीद कर रही हैं कि पेरिस में वह इसी तरह ऊंचाई हासिल करेंगी।

जरीन ने कहा, ‘‘हर प्रतियोगिता में थोड़ी सी घबराहट तो होती है। आपकी खुद से उम्मीदें होती हैं और आपके चारों ओर लोगों की आपसे उम्मीदें होती हैं। इससे आप पर काफी ज्यादा दबाव होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आप इससे कड़ी मेहनत करके निपटते हो, आप अपना फोकस बनाये रखते हो, शांत चित्त रहते हो, किसी भी चीज से ध्यान भंग नहीं होने देते। मैं सोशल मीडिया से दूर हूं और लोगों से दूरी बनाये रखने की कोशिश कर रही हूं।

जरीन ने कहा, ‘‘मैं एक तरह से ‘एनर्जी सेविंग मोड’ में हूं, कभी कभार मिठाई खा रही हूं, घर का सामान लेने जा रही हूं, संगीत सुन रही हूं, इससे मुझे शांत रहने में मदद मिलती है। साथ ही मैं नेटफ्लिक्स पर सीरीज या फिल्में देख रही हूं। अभी मैं ‘हीरामंडी’ देख रही हूं, यह काफी दिलचस्प है।

जरीन कहती हैं कि वह टोक्यो में ही ओलंपियन बन चुकी होती, अगर छह बार की विश्व विजेता एम सी मैरीकॉम से चयन ट्रायल में हारी नहीं होती।

उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि मैं टोक्यो में जाने के लिए कितनी बेचैन थी। भाग्य में जो होना था, वो हुआ। इस सदमे से मैं दृढ़संकल्पित बन गयी। जिस दिन मैंने पेरिस के लिए क्वालीफाई किया, उस दिन मैं इतनी खुश थी कि इसे बयां करना मुश्किल है। मेरा सबसे बड़ा सपना सच हो गया था।

जरीन ने कहा, ‘‘लेकिन तब मुझे लगा कि अभी तो काम आधा ही हुआ है। ओलंपिक तैयारियां हमेशा सिर्फ ट्रेनिंग और पोषण तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार होना बड़ी भूमिका निभाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आपको अपने अंदर चल रहे द्वंद्व से खुद ही लड़ना होता है, कभी कभार आप अपने विचार अपने सहयोगी स्टाफ या टीम से साझा करते हो, अंत में आप अकेले होते हो, जिसे रिंग के अंदर लड़ना होता है, आप इसके अंदर अकेले होते हो।जरीन ने कहा, ‘‘आपको अपने दिमाग को तैयार रखना होता है कि अच्छे दिन आयेंगे। यह मेरी यात्रा है और मुझे ही संभालना है।

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