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भारतीय समाज की पहचान रही है संयुक्त परिवार की परंपरा : सुरेश सोनी

ब्यावरा में नवदंपति मिलन समारोह में शामिल हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राजगढ़, 12 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि संयुक्त परिवार की परंपरा भारतीय समाज की पहचान रही है। एकल परिवार की व्यवस्था हमारे देश की परंपरा नहीं है, बल्कि यह विदेशी चलन है। हमारी संस्कृति में परिवार केवल माता-पिता और बच्चों तक सीमित नही, बल्कि दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन हैं, जिसमें सभी का स्नेह और साथ होता था।

पूर्व सह सरकार्यवाह सोनी रविवार को मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के अंतर्गत आयोजित नवदंपति मिलन कार्यक्रम को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में बच्चे न केवल संस्कार सीखते हैं, बल्कि अपने बड़ों के अनुभवों से जीवन जीने की कला समझते है। एक परिवार के चलन से आपसी संवाद और पारिवारिक एकजुटता में कमी आई है, जो समाज के लिए चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि यदि परिस्थियों के चलते परिवार एक साथ नहीं रह पा रहे हैं तो सप्ताह में कम से कम एक दिन सभी को एकत्र होकर भोजन करने की परंपरा शुरु करना चाहिए। इससे आपसी संबंध मजबूत होंगे और आने वाली पीढ़ियों में पारिवारिक जुड़ाव की भावना विकसित होगी। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया वे आधुनिकता को अपनाएं, लेकिन अपनी संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों को न भूलें। संयुक्त परिवार न केवल सामाजिक सुरक्षा देता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक मजबूती का आधार होता है।

कार्यक्रम में लगभग 150 से अधिक नवयुगल मौजूद रहे। इस दौरान नवदंपत्तियों के लिए विशेष संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उनसे पारिवारिक जीवन में संवाद, सहयोग और समझ बढ़ाने पर चर्चा की गई।

इस अवसर में संघ के विभाग संघचालक उदयसिंह चौहान, नगर संघचालक राधेश्याम शर्मा मंचासीन रहे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य नवदंपत्तियों में पारिवारिक एकता, भारतीय संस्कृति, परंपराओं और जीवन मूल्यों के प्रति जागरुकता बढ़ाना था।__

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