तेज गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ निर्भीक योद्धा : इंग्लैंड के दिग्गज रोबिन स्मिथ का 62 वर्ष की आयु में निधन

इंग्लैंड क्रिकेट के उन दुर्लभ बल्लेबाजों में शामिल रहे रोबिन स्मिथ, जिन्हें तेज गेंदबाजों के सामने निर्भीक खड़े होने की क्षमता ने एक अलग पहचान दी, का मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के पर्थ स्थित उनके आवास पर 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके करियर की यादें आज भी 80 और 90 के दशक की क्रिकेट की रफ्तार और भयावहता को जीवंत कर देती हैं।

स्मिथ को उस समय की सबसे खतरनाक वेस्टइंडीज पेस बैटरी—कर्टली एम्ब्रोस, कर्टनी वॉल्श, मैल्कम मार्शल और पैट्रिक पैटरसन—के सामने सहजता और साहस दिखाने वाले कुछ चुनिंदा बल्लेबाजों में गिना जाता था। अक्सर उनके साथी बल्लेबाज जहां इस आक्रमण के सामने टिक नहीं पाते थे, वहीं स्मिथ अपने साहसिक स्ट्रोक से अलग छाप छोड़ते थे।

1988 से 1996 के बीच खेले गए 62 टेस्ट मुकाबलों में उन्होंने 43.67 की औसत से 4236 रन बनाए—लेकिन इंग्लैंड क्रिकेट पर उनका प्रभाव इन आंकड़ों से कहीं अधिक गहरा माना जाता है।

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इसी प्रभाव को रेखांकित करते हुए इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के अध्यक्ष रिचर्ड थॉम्पसन ने उन्हें एक ऐसा खिलाड़ी बताया ‘‘जो दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों को भी आत्मविश्वास से चुनौती देता था’’ और जिसकी बल्लेबाजी ने ‘‘इंग्लैंड के प्रशंसकों को गर्व से भर दिया।’’

थॉम्पसन द्वारा उनके करियर के एक और चमकदार क्षण का ज़िक्र किया गया—1993 में एजबेस्टन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 163 गेंदों पर नाबाद 167 रन की वह पारी, जिसे आज भी एकदिवसीय क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत पारियों में शामिल किया जाता है।

दक्षिण अफ्रीका के डरबन में 1963 में जन्मे स्मिथ ने बैरी रिचर्ड्स और माइक प्रोक्टर के मार्गदर्शन से प्रभावित होकर इंग्लैंड के हैम्पशायर का रुख किया। 1988 में हेडिंग्ले में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट पदार्पण करने के बाद उन्होंने एलन लैम्ब के साथ मिलकर इंग्लैंड के मध्यक्रम को लंबे समय तक मजबूती दी।

हालाँकि तेज गेंदबाजों के खिलाफ उनका आत्मविश्वास अद्वितीय रहा, लेकिन स्पिन के खिलाफ वही धार नहीं दिख पाई। 1992 में भारत दौरे पर भारी संघर्ष के बाद 90 के दशक में शेन वॉर्न के उभार ने उनकी चुनौतियाँ और बढ़ा दीं। क्रिकेट से संन्यास लेकर स्मिथ अंततः ऑस्ट्रेलिया में बस गए, जहाँ उन्होंने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए।

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