कौन हैं अशोक सिद्धार्थ जिनकी वजह से मायावती ने भतीजे पर उठाया कड़ा कदम?

बीएस राय: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक अहम राजनीतिक फैसला लेते हुए उन्होंने अपने उत्तराधिकारी माने जा रहे भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया। इसके साथ ही मायावती ने साफ कर दिया कि जब तक वह जीवित हैं, उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा।
बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर सत्ता संतुलन और संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। नेतृत्व में बदलाव मायावती ने आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक के पद से मुक्त कर उनकी जगह राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और आनंद कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी है। यह बदलाव बसपा के संगठनात्मक ढांचे में अहम मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि मायावती पहले ही आकाश आनंद को पार्टी का भविष्य बता चुकी हैं।
इस फैसले के साथ ही मायावती ने आकाश आनंद के ससुर और पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक सिद्धार्थ पार्टी में गुटबाजी कर रहे हैं और संगठन को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। मायावती ने साफ कहा कि आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को बर्बाद करने के लिए अशोक सिद्धार्थ जिम्मेदार हैं।
अशोक सिद्धार्थ की गिनती कभी बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख नेताओं में होती थी। मायावती से उनके करीबी रिश्ते थे, जिसके चलते उन्हें बीएसपी के टिकट पर राज्यसभा भेजा गया था। बीएसपी के लिए उन्होंने महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में कमान संभाली। अशोक सिद्धार्थ का जन्म 5 फरवरी 1965 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता बीएसपी संस्थापक कांशीराम के करीबी थे। इसी वजह से अशोक सिद्धार्थ भी पार्टी से जुड़ गए और संगठन के लिए काम करने लगे।
मायावती के विश्वासपात्र होने के कारण उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं। पार्टी से निष्कासन और विवाद हाल ही में अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। मायावती इस बात से नाराज थीं कि शादी में चुनिंदा नेताओं को ही बुलाया गया था। इसके बाद उन्होंने गुटबाजी के आरोप में अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया था।
अब मायावती ने आकाश आनंद को भी पदों से हटा दिया है और साफ कर दिया है कि वह पार्टी में किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेंगी। इस घटनाक्रम के बाद बहुजन समाज पार्टी में नेतृत्व को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। मायावती ने अपना नेतृत्व बरकरार रखते हुए संकेत दिया है कि बसपा में उनकी मंजूरी के बिना कोई बदलाव नहीं हो सकता। रामजी गौतम और आनंद कुमार की नई जिम्मेदारी पार्टी की आगे की दिशा तय करेगी।