Zelenskyy-Trump: दुनिया ने देखा यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का आक्रामक रुख, जानिए डोनाल्ड ट्रम्प से क्यों हुई तीखी बहस : बीएस राय

रूस से युद्ध लड़ रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की का एक नया और आक्रामक रूप उस समय दुनिया के सामने आया, जब उनकी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तीखी बहस हुई। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुई इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब नौ मिनट तक तीखी बहस हुई।

आखिरकार ट्रंप ने बहस रोककर ज़ेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने को कहा। दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक के पूर्व राष्ट्रपति के सामने इस तरह का खुला विरोध वैश्विक राजनीति में खासी चर्चा का विषय बन गया है। सवाल उठता है कि ज़ेलेंस्की को इतनी हिम्मत कहां से मिली? क्या उन्हें किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर भरोसा है?

वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की कभी कॉमेडियन थे, जिन्होंने अपने टीवी शो के जरिए राजनीति में कदम रखा। यूक्रेन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें जनता का भारी समर्थन मिला और वे राष्ट्रपति बन गए। राष्ट्रपति बनने के बाद ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन को नाटो की सदस्यता दिलाने के प्रयास शुरू कर दिए। हालांकि, रूस ने इसे सीधी चुनौती के तौर पर देखा और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला कर दिया। तब से युद्ध जारी है और यूक्रेन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर रूस के कब्जे को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है।

अमेरिका शुरू से ही यूक्रेन का प्रमुख सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के कुछ राजनीतिक बदलावों ने इस समर्थन को कमजोर कर दिया है। अमेरिका के रुख में बदलाव के संकेत को लेकर जेलेंस्की पहले से ही चिंतित थे।

ट्रंप से मुलाकात के दौरान जेलेंस्की ने साफ तौर पर कहा कि अगर अमेरिका अपना समर्थन वापस ले लेता है तो यूक्रेन को रूस से बचाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ टेलीविजन पर हुई गरमागरम बहस पर अफसोस है, लेकिन वह अपने बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की पर हमला करते हुए कहा कि यूक्रेन में युद्ध ने लाखों लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है। ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार भी लगाई और कहा कि उनकी नीतियां दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल सकती हैं।

व्हाइट हाउस में हुई इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया और आखिरकार जेलेंस्की ने बिना किसी समझौते पर हस्ताक्षर किए ही जाने का फैसला कर लिया। यूरोपीय देश बने यूक्रेन के सहारे अमेरिका जहां यूक्रेन को समर्थन देने से पीछे हटता दिख रहा है, वहीं यूरोपीय देश उसके साथ मजबूती से खड़े हैं।

ब्रिटेन और फ्रांस ने खुलकर अपना समर्थन जताया है। ब्रिटेन ने तो अपने सैनिक भेजने की बात भी कही है, जबकि फ्रांस का मानना है कि रूस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा जर्मनी और पोलैंड ने भी यूक्रेन के समर्थन में अपने संकल्प दोहराए हैं। युद्ध में रूस की स्थिति युद्ध के दौरान यूक्रेन ने रूस को भारी नुकसान पहुंचाया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 8.47 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। 370 विमान और 331 हेलीकॉप्टर नष्ट हो चुके हैं। इसके अलावा 10 हजार से ज्यादा टैंक और 23 हजार से ज्यादा आर्टिलरी सिस्टम भी नष्ट हो चुके हैं। रूस को अब उत्तर कोरिया से हथियारों की सप्लाई लेनी पड़ रही है, जिससे साफ पता चलता है कि रूस के लिए भी यह युद्ध थका देने वाला साबित हो रहा है।

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे इस संघर्ष का असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिल रहा है। अमेरिकी समर्थन में कमी के कारण ज़ेलेंस्की की रणनीतियों पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन यूरोपीय सहयोग और रूस की कमज़ोरी यूक्रेन के लिए उम्मीद की किरण साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह युद्ध और वैश्विक राजनीति क्या मोड़ लेती है।

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