Delhi Election 2025: दिल्ली की सत्ता पर कौन होगा काबिज, क्या है दिल्ली का चुनावी हाल

बीएस राय: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 17 जनवरी को संपन्न हो गई। 10 से 17 जनवरी के बीच कुल 981 उम्मीदवारों ने 1521 नामांकन दाखिल किए। दिल्ली चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार भी सबसे ज्यादा चर्चा नई दिल्ली विधानसभा सीट पर है, जहां 29 उम्मीदवारों ने 40 नामांकन दाखिल किए हैं। यह सीट दिल्ली की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है, क्योंकि यहां से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं।
हाई-प्रोफाइल मुकाबला नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल का मुकाबला कांग्रेस के संदीप दीक्षित और बीजेपी के प्रवेश वर्मा से है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे हैं। संदीप दीक्षित दिवंगत कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के बेटे हैं, जबकि प्रवेश वर्मा बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। हालांकि प्रत्याशियों के पास नामांकन वापस लेने का आखिरी मौका 20 जनवरी तक है।
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होगा, जबकि 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। सभी पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सभी 70 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। वहीं, भाजपा ने भी अपने दो सहयोगी दलों को मौका दिया है।
बुराड़ी सीट पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के शैलेंद्र कुमार और देवली सीट पर लोजपा (रामविलास) के दीपक तंवर वाल्मीकि चुनाव लड़ रहे हैं। बुराड़ी सीट पर शैलेंद्र कुमार का सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी के तीन बार के विधायक संजीव झा से है। वहीं, देवली सीट पर भाजपा ने लोजपा प्रत्याशी दीपक तंवर को उतारकर समीकरण बदलने की कोशिश की है।
पिछले 10 सालों से दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी लगातार तीन बार चुनाव जीत चुकी है। अब आप चौथी बार सत्ता पर काबिज होने की तैयारी में है। कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है, जबकि भाजपा 27 साल से दिल्ली में सत्ता हासिल करने का सपना देख रही है।
मुख्य मुकाबला दिल्ली के चुनावी अखाड़े में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच माना जा रहा है। कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई है। वहीं भाजपा ने इस बार चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने दिल्ली में कमल खिलाने के लिए कई बड़े नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को प्रचार के लिए उतारा है। वहीं आप सरकार अपने 10 साल के काम और कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर जनता से वोट मांग रही है।
दिल्ली की सत्ता पर कौन काबिज होगा, यह 8 फरवरी को साफ हो जाएगा। आम आदमी पार्टी जहां अपनी मजबूत पकड़ को बरकरार रखने के लिए पूरी तरह आश्वस्त है, वहीं भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अरविंद केजरीवाल अपनी जीत की हैट्रिक को चौथी बार जीत में बदल पाएंगे या भाजपा दिल्ली में अपना लंबा वनवास खत्म कर पाएगी।