Delhi Politics: AAP-BJP की मजबूत मौजूदगी के बीच कैसे अपनी जगह बना पाएगी कांग्रेस, जानिए क्या है चुनौतियां

बीएस राय: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच मुख्य मुकाबला होने के बावजूद इस बार कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी है। कभी 15 साल तक दिल्ली पर राज करने वाली कांग्रेस अब ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां उसे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। आइए जानते हैं कि इस चुनाव में उसे किन बड़े खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
इस बार कांग्रेस ने चुनाव में अपनी नीतियों और योजनाओं के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। आप की ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के मुकाबले कांग्रेस ने ‘प्यारी दीदी योजना’ का ऐलान किया है, जिसके तहत महिलाओं को 2500 रुपये मासिक सहायता देने का वादा किया गया है। यह योजना महिलाओं के बीच पार्टी को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है।
इसके अलावा पार्टी ने कई अनुभवी और कद्दावर नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। संदीप दीक्षित, देवेंद्र यादव, अलका लांबा और हारून यूसुफ जैसे बड़े नाम पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं। इन चेहरों की राजनीतिक समझ और जनसंपर्क एक बार फिर कांग्रेस को चर्चा में ला सकता है।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती मतदाताओं का भरोसा फिर से हासिल करना है। 2013 से दिल्ली में सत्ता से बाहर रहने के कारण पार्टी का आधार कमजोर हुआ है। पार्टी को नेतृत्व की कमी का भी सामना करना पड़ा है, जिसका असर उसके चुनावी अभियान पर पड़ सकता है।
इसके अलावा निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी और दो चुनावों में पार्टी का खाता न खुल पाना कांग्रेस के चुनावी अभियान को कमजोर कर सकता है। पार्टी को अपने वोट प्रतिशत में लगातार आ रही गिरावट को रोकने के लिए भी कड़ी मेहनत करनी होगी।
दिल्ली चुनाव 2025 कांग्रेस के लिए एक बड़ा मौका भी लेकर आया है। चूंकि इस समय पार्टी के पास खोने को कुछ नहीं है, इसलिए यह चुनाव उसके लिए नए सिरे से शुरुआत करने का मौका हो सकता है। अगर कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को वापस पाने में कामयाब हो जाती है तो वह आप और भाजपा के बीच निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
अगर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है तो कांग्रेस की भूमिका ‘किंगमेकर’ के तौर पर उभर सकती है। इससे न सिर्फ पार्टी का मनोबल बढ़ेगा बल्कि वह अपने कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने में भी कामयाब हो सकती है। 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई है। अगर पार्टी इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहती है तो उसे दिल्ली की राजनीति से लगभग बाहर होने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
आप और भाजपा की मजबूत मौजूदगी के बीच कांग्रेस के लिए अपने लिए जगह बनाना आसान नहीं होगा। 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए नई शुरुआत का मौका है। यह चुनाव न सिर्फ उसका भविष्य तय करेगा बल्कि दिल्ली की राजनीति में उसके अस्तित्व को भी नए सिरे से परिभाषित करेगा। कांग्रेस के लिए अपनी कमजोरियों को दूर करना और अपनी मजबूत बातों को सही तरीके से पेश करना जरूरी है। क्या कांग्रेस इस चुनौती से पार पा सकेगी? यह तो 5 फरवरी को आने वाले चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।