Sukhbir Singh Badal News: अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर सुखबीर बादल पर हुए हमले के क्या है मायने
बीएस राय: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर हमला हुआ। हमलावर नारायण सिंह चौरा ने पिस्तौल से गोली चलाई, लेकिन पकड़ा गया। बादल धार्मिक दंड के तहत सेवादार के तौर पर सेवा कर रहे थे। पुलिस ने हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया।
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर हमला हुआ। यह घटना अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर हुई, जहां वे धार्मिक दंड (तनखाह) के तहत सेवादार के तौर पर सेवा कर रहे थे। हमले में सुखबीर बादल बाल-बाल बच गए, जबकि मौके पर मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया।
गोलीबारी की यह घटना सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई। नारायण सिंह चौरा नामक व्यक्ति ने अचानक पिस्तौल निकाली और स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर खड़े सुखबीर बादल पर गोली चलाने की कोशिश की। हालांकि, वहां मौजूद एक व्यक्ति ने सतर्कता दिखाते हुए उसे रोक दिया, जिससे गोली निशाने पर लगने की बजाय ऊपर चली गई।
हमलावर नारायण सिंह चौरा दल खालसा का कार्यकर्ता पाया गया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि वह बेअदबी के मामलों को लेकर सुखबीर बादल से नाराज था। पुलिस ने बताया कि नारायण पिछले दो दिनों से स्वर्ण मंदिर के आसपास देखा जा रहा था और संभवत: वह इस हमले की योजना बना रहा था।
सुखबीर बादल ने सिख धार्मिक नेताओं द्वारा घोषित ‘तन्खा’ (धार्मिक सजा) के तहत सेवादार के तौर पर सेवा शुरू कर दी है। तन्खा का यह दूसरा दिन था, जब वह नीली वर्दी पहने और व्हीलचेयर पर बैठकर स्वर्ण मंदिर के मुख्य द्वार पर पहरा दे रहे थे। पैर में फ्रैक्चर होने के कारण वह व्हीलचेयर का उपयोग कर रहे हैं।
अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस अलर्ट पर थी और हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया गया। हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है। पुलिस अब जांच कर रही है कि नारायण सिंह चौधरी किसी बड़ी साजिश के नेटवर्क से जुड़ा है या नहीं।
सुखबीर बादल के साथ सुखदेव सिंह ढींडसा, बिक्रम सिंह मजीठिया और दलजीत सिंह चीमा जैसे अकाली नेता भी तन्खा के तहत स्वर्ण मंदिर में सेवादार के तौर पर सेवा करते थे। इनमें से कई नेता बर्तन धोने जैसे काम करते थे। सुखबीर बादल और सुखदेव ढींडसा ने अपने गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटका रखे थे, जिन पर उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए माफी मांगी थी।
सुखबीर बादल पर हुए इस हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों की जटिलता को भी उजागर किया है। पुलिस की सतर्कता और आम नागरिकों की सूझबूझ के कारण यह हमला विफल हो गया, लेकिन इससे जुड़ी जांच और इसके पीछे की साजिश का खुलासा होना अभी बाकी है।