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मेजबान टीम को फाइव स्टार होटल की सुविधाएं तो मेहमानों को गेस्ट हाउस

 उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की अपनी ही मेजबानी में मेहमानों के साथ नाइंसाफी का एक मामला शुक्रवार को प्रकाश में आया है। दो से पांच फरवरी तक रणजी ट्रॉफी मैच खेलने के लिए असम से आई टीम के साथ यूपीसीए के प्रबन्धन समिति ने नाइंसाफी करने की हिम्मत पता नहीं कहां से जुटा ली। यूपीसीए ने रणजी ट्राफी जैसी देश की सबसे बड़ी घरेलू प्रतियोगिता के नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। यूपीसीए ने जहां अपनी टीम के लिए शहर के सबसे प्रतिष्ठित होटल में रुकने का प्रबन्ध करवाया तो मेहमानों के साथ दोहरा मापदण्ड दिखाते हुए उनकी क्रिकेट टीम को विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रुकवाने का काम किया। प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने शायद नियम से परे हटकर काम किया है। मेजबान यूपीसीए ने अपने खिलाड़ियों को तो फाइव स्टार होटल की सुविधाओं से लैस रखा है।वहीं, असम के खिलाड़ियों को मैदान से लगभग 13 किलोमीटर दूर विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में रुकने के लिए इंतजाम करवाया, जिससे असम की टीम और उसका प्रबन्धन पूरी तरह से असंतुष्ट दिखाई दिए।

हालांकि असम की टीम प्रबन्धन ने यहां पर मिली असुविधाओं के साथ ही नाश्ता भी समय से न मिलने की शिकायत बोर्ड के अधिकारियों से मौखिक रूप दर्ज से दर्ज करवा दी है। असम की टीम यूपीसीए के इस रवैये से खासे क्षुब्ध भी दिखायी दिए। क्रिकेट के जानकार बताते हैं कि बोर्ड की ओर से कई महीनों पहले ही मैच आवन्टन की सूची मेजबान संघों को मेल और पत्र के माध्यम से उपलब्ध करवा दी जाती है। इसके बाद भी यूपीसीए में मोटी तनख्वाह पर कार्य करने वाले कर्मचारी मेहमान टीम के लिए एक अदद होटल की व्यवस्था भी नहीं कर सके। इसके लिए असम जैसी टीम को एक गेस्ट हाउस में रुकने के लिए विवश होना पड़ गया। बताते चलें कि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस की बुकिंग नियम विरुद्ध तरीके से करवायी गयी है। क्रिकेट के जानकार यह भी बताते हैं कि अगर विश्वविद्यालय की टीम रणजी ट्राफी जैसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिता का हिस्सा होती तो यह संभव था। लेकिन ये समझ से परे है कि टीम को रुकने के लिए कैसे तैयार किया गया। शहर के एक पूर्व रणजी ट्राफी खिलाड़ी ने बताया कि मेजबान टीम यूपीसीए को भी वहीं रोकना चाहिए जिससे समरूपता बनी रहती।

टीम के खिलाड़ियों को गेस्ट हाउस में जिम की सुविधा भी नहीं मिली। मीटिंगरूम भी एक हॉल में स्थापित करवा दिया गया था। यही नहीं, एक कमरे में दो खिलाड़ियों को समायोजित किया गया था। उनके कमरों के किराए की बात की जाए तो जहां यूपीसीए के खिलाड़ियों को रोका गया था उसका किराया लगभग 10 से 12 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से था जबकि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस वाले कमरों का किराया केवल 15 सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से तय था और वहां पर संघ ने 13 कमरों का आवंटन करवाया था। टीम को विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस से स्टेडियम पहुंचने के लिए लगभग डेढ घंटे पहले ही निकलना पड़ता था। इस बावत यूपीसीए का तर्क था कि होटल उपलब्ध नहीं थे। मेजबान टीम के साथ न्याय और मेहमानों के साथ अन्याय किस आधार पर किया गया। ग्रीनपार्क में होने वाले मैच में इस कदर से लापरवाही संघ के अध्यक्ष और सचिव के दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा रही, जिसमें वह यह कहते दिखायी देते हैं कि संघ में सब कुछ चंगा सी। इस बारे में डायरेक्टर इंचार्ज रियासत अली इससे बचते हुए नजर आ रहे हैं।

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