गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा में लिया भाग

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा में भाग लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद देश की चर्चा की सबसे बड़ी पंचायत है और हम चर्चा से कभी नहीं भागते। उन्होंने कहा कि कोई भी मुद्दा हो संसद के नियमों के अनुसार हम हमेशा चर्चा के लिए तैयार रहते हें। उन्होंने कहा कि विपक्ष गहन पुनरीक्षण या SIR के नाम पर चर्चा चाहता था लेकिन इस विषय पर इस सदन में चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि गहन पुनरीक्षण की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की है और आयोग सरकार के तहत काम नहीं करता है। श्री शाह ने कहा कि चुनाव सुधारों पर चर्चा होनी तय हुई थी लेकिन विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने SIR पर चर्चा की।
अमित शाह ने कहा कि SIR पर चार महीने से एकतरफा झूठ फैलाया जा रहा है और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के संविधान के अनुच्छेदों से चुनाव आयोग की रचना हुई और चुनाव आयोग एक प्रकार से संवैधानिक संस्था है। संविधान ने फ्री एंड फेयर चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की तय की है, मतदाता सूची बनाने और उसमें सुधार की ज़िम्मेदारी भी चुनाव आयोग की है। उन्होंने कहा कि संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग के गठन, चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के चुनावों का संपूर्ण नियंत्रण संविधान ने चुनाव आयुक्त को दिया है। श्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 325 यह प्रावधान करता है कि किसी भी पात्र मतदाता को मतदाता सूची से बाहर नहीं रखा जा सकता, लेकिन 326 एक गहन पुनरीक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मतदाता की पात्रता, योग्यता और मतदाता होने की शर्तें अनुच्छेद 326 में तय की गई हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहली शर्त है कि मतदाता भारत का नागरिक होना चाहिए, विदेशी नहीं होना चाहिए। दूसरी शर्त है, 18 साल से अधिक आयु का व्यक्ति मतदाता बन सकता है और तीसरी शर्त है कि मतदाता की वैधता का निर्धारण मानसिक असमर्थता, अपराध और भ्रष्टाचार में संलिप्तता के लिए कानून द्वारा समय समय पर तय कि गए प्रावधानों के आधार पर होता है। उन्होंने कहा कि इन तीन पात्रताओं के आधार पर भारत का मतदाता होने की बात तय होती है और यह तीनों चीज़ें चुनाव आयुक्त को देखनी हैं। गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 327 में मतदाता सूची, सीमांकन, चुनाव संचालन और उसके लिए कानून बनाने की सिफारिश की शक्ति चुनाव आयोग को दी गई हैं। अनुच्छेद 327 मतदाता सूची को इस व्याख्या के आधार पर बनाने का पूर्ण अधिकार चुनाव आयोग को देता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक इतिहास की शुरूआत 1952 में हुई और सबसे पहला गहन पुनरीक्षण 1952 में हुआ, दूसरा 1957 में और तीसरा 1961 में हुआ तब विपक्षी पार्टी के प्रधानमंत्री थे। 1965 और 1966 में भी पुनरीक्षण हुआ उस समय भी विपक्षी दल के प्रधानमंत्री थे। फिर 1983-84, 1987-89 और 1992- 93-95 में हुआ तब भी मुख्य विपक्षी दल के नेता प्रधानमंत्री थे। श्री शाह ने कहा कि जब 2002-03 में पुनरीक्षण हुआ तब उनकी पार्टी के नेता प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि 2004 में गहन पुनरीक्षण समाप्त हुआ। उन्होंने कहा कि 2004 के बाद सीधा 2025 में गहन पुनरीक्षण हो रहा है और इस पूरी प्रक्रिया का आज तक किसी भी दल ने विरोध नहीं किया है क्योंकि यह चुनावों को पवित्र रखने, चुनाव के उद्देश्यों और लोक तंत्र को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। श्री शाह ने कहा कि लोकतंत्र में जिस आधार पर चुनाव पर होते हैं, वह मतदाता सूची ही अगर प्रदूषित है तो चुनाव कैसे साफ सुथरे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय समय पर मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण ज़रूरी है इसीलिए चुनाव आयोग ने फैसला किया कि 2025 में इसे किया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 में एक प्रावधान है कि उम्मीदवार चुने जाने के बाद 45 दिन में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और 45 दिन के बाद इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। श्री शाह ने कहा कि RPI Act 1950 में ही ECI के अधिकारियों को जो immunity प्राप्त है, हमने उसमें बिल्कुल भी वृद्धि नहीं की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का मूल मुद्दा है अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में रखने का। उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे 200 बार बहिष्कार करे, एक भी अवैध घुसपैठिए को हम देश मं वोट नहीं डालने देंगे। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति है, डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट करने की और हम यह काम संवैधानिक प्रक्रिया से करेंगे।



