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संविधान दिवस पर जानिए संविधान का महत्व और उसका निर्माण

राघवेंद्र प्रताप सिंह: भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 76 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू हुआ और आज यानी 26 नवंबर, 2025 को और सुदृढ़ किया जा रहा है। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान ” अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है। यह एक लिखित दस्तावेज है जो सरकार और उसके संगठनों के मौलिक बुनियादी संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करने वाले ढांचे को निर्धारित करता है।इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसको अंगीकृत किये जाने के समय, संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं और इसमें लगभग 145,000 शब्द थे, जिससे यह अब तक का अंगीकृत किया जाने वाला सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान बन गया। संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद पर संविधान सभा के सदस्यों द्वारा बहस की गई, जिनकी संविधान के निर्माण के लिए 2 वर्ष और 11 महीने की अवधि में 11 सत्रों में और 167 दिनों के दौरान बैठक हुई।

संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है और अपने नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता का आश्वासन देती है और बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
संविधान सरकार के एक संसदीय स्वरूप का प्रावधान करता है जो कुछ एकात्मक विशेषताओं के साथ संरचना में संघीय है। संघ की कार्यकारिणी का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है । भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की संसद की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं ,जिन्हें कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स (राज्य सभा) और हॉउस ऑफ द पीपल (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 74 (1) में प्रावधान है कि राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधान मंत्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनसार कार्य करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद में निहित होती है ।

भारतीय संविधान के बारे में रोचक तथ्य :

डॉ भीम राव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य रचनाकार माना जाता है। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले व्यक्ति बने। यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारत का संविधान न तो मुद्रित है और न ही टंकित है। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हस्तलिखित और सुलेखित है। इसे श्री प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा हस्तलिखित किया गया था और उनके द्वारा देहरादून में प्रकाशित किया गया था। प्रत्येक पृष्ठ को शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा सजाया गया, जिनमें बेहर राममनोहर सिन्हा और नंदला बोस शामिल हैं। अंतिम प्रारूप को पूरा करने में दो वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। वर्तमान में, इसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। आज की तिथि तक, संविधान में 105 बार संशोधन किया जा चुका है।

यह संविधान विश्व भर में विभिन्न क्रांतियों के मूल्यों से उभरा है।विभिन्न सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक कारको ने इसमें योगदान किया है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद एक नई शासन प्रणाली की आवश्यकता उत्पन्न हुई। भारत में विशाल संस्कृतियाँ, धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ हैं, जिसके कारण राष्ट्र में एक समान कानून बनाने की आवश्यकता हुई।संविधान का एक मूल उद्देश्य नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मनमाने प्रशासनिक कार्यों से बचाना है।
भारत को राज्य के सभी कार्यों में जाँच और संतुलन बनाए रखने के लिये लोकतंत्र के सिद्धांतों को स्थापित करने की आवश्यकता थी। सामाजिक न्याय और समानता वे कारण हैं, जिनके कारण जाति, लिंग, धर्म, नस्ल के आधार पर दीर्घकालिक भेदभाव के विरुद्ध नियम बनाने की शुरुआत हुई।

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