अफ्रीकी देश माली में फ्यूल ट्रकों पर हमला कर रहे हैं आतंकी

राघवेन्द्र प्रताप सिंह: अफ्रीकी देश माली में आतंकी अशांति पैदा करने में लगे हैं और माली की राजधानी बामाको में अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन यानी कि JNIM के आतंकी पिछले कुछ दिनों से ट्रकों पर हमले कर रहे हैं। इससे माली की व्यापारिक गतिविधि पर बुरा असर पड़ सकता है। वैसे भी माली जैसे देशों में सैन्य तख्तापलट, गृह युद्ध, आंतरिक अशांति का दौर अक्सर देखा जाता है। ऐसे में अफ्रीकन यूनियन जैसे संगठनों पर शांति स्थापना प्रयासों का काफी दबाव पड़ता है। माली में आतंकी संगठन का पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल कायदा से लिंक है। दरअसल, JNIM के ये आतंकी मु्ल्क में फ्यूल यानी कि ईंधन की सप्लाई को रोकने के लिए इन ट्रकों को निशाना बना रहे हैं। माली के नेशनल काउंसिल ऑफ एम्प्लॉयर्स के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में आतंकियों ने करीब 100 ईंधन ट्रकों को आग के हवाले कर दिया, जिससे मुल्क की नाजुक अर्थव्यवस्था पर गहरा खतरा मंडरा रहा है।
JNIM ने 2 हफ्ते पहले माली में पड़ोसी देशों से ईंधन आयात पर पाबंदी लगा दी थी। आतंकियों ने चेतावनी दी थी कि उनकी बात न मानने वाले ट्रक ड्राइवरों को निशाना बनाया जाएगा। इसके बाद, बीते 2 हफ्तों में माली के कायेस शहर के पास, जो सेनेगल की सीमा के करीब है, आतंकियों ने ईंधन ट्रकों पर हमले किए और उन्हें जला दिया। एक वायरल वीडियो में सड़क किनारे कई फ्यूल टैंकरों को आग की लपटों में घिरा हुआ देखा गया। माली की सेना ने पुष्टि की कि बामाको की ओर जा रहे ईंधन ट्रकों की सुरक्षा के लिए तैनात उनके जवानों पर ‘आतंकी हमला’ हुआ। हालांकि, सेना ने नुकसान की पूरी जानकारी नहीं दी।
माली की अर्थव्यवस्था काफी हद तक आयातित ईंधन पर निर्भर है। रोजाना 100 से ज्यादा फ्यूल टैंकर सेनेगल से माली में आते हैं, लेकिन अब यह आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। सीमा पर सैकड़ों ट्रक ड्राइवर सेना की सुरक्षा और सड़कों पर हालात सुधरने का इंतजार कर रहे हैं। फ्यूल इंपोर्ट करने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘सप्लाई रुकने से बामाको में ईंधन की कमी हो सकती है और कीमतें आसमान छू सकती हैं।’
सैन्य सरकार को कमजोर करना चाहते हैं आतंकी :
एक्सपर्ट्स का कहना है कि JNIM के आतंकी इस पाबंदी के जरिए माली की सैन्य सरकार को कमजोर करना चाहते हैं। कंट्रोल रिस्क्स ग्रुप की विश्लेषक बेवर्ली ओचिएंग ने कहा है कि, ‘आतंकी इस ब्लॉकेड के जरिए कारोबारियों और आम लोगों को सरकार से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सरकार की साख और ताकत कम हो।’ माली पहले से ही कई समस्याओं से जूझ रहा है, और अब यह ईंधन संकट स्थिति को और बिगाड़ सकता है। अगर यह ब्लॉकेड लंबा खिंचा तो बामाको में न सिर्फ ईंधन की किल्लत होगी, बल्कि रोजमर्रा की चीजों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। सरकार और सेना के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।
अभी कुछ समय पहले ही राजस्थान, ओडिशा और तेलंगाना के रहने वाले तीन भारतीयों को पश्चिमी अफ्रीकी देश माली में अगवा कर लिया गया था। जुलाई माह में इस घटना को अंजाम दिया गया था। अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुसलमीन (JNIM) ने इन तीनों का अपहरण किया है। यह घटना पश्चिमी माली मे स्थित डायमंड सीमेंट फैक्ट्री में हुई थी। इन तीनों को एक आतंकी हमले में अगवा किया गया। यह आतंकी संगठन पहले भी माली, नाइजर और बुर्किना फासो में विदेशी कर्मचारियों, सरकारी प्रतिष्ठानों और मिलिट्री पोस्ट्स को निशाना बना चुका है। गौरतलब है कि माली में आतंकवाद एक सीमा पार क्षेत्रीय घटना है जिसका पूरे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। माली में इसका उदय न केवल लीबिया विद्रोह के परिणामों से जुड़ा है, बल्कि रसद और वित्तीय नेटवर्क से भी जुड़ा है।
माली के साहेल क्षेत्र में माली, नाइजर और बुर्किना फासो शामिल हैं। वहां पर साल 2012 से हिंसा में लगातार इजाफा हो रहा है। उस समय विद्रोह की शुरुआत उत्तरी माली से हुई थी। इस साल आए ग्लोबल टेाररिस्ट इंडेक्स (GTI) ने इस क्षेत्र को ग्लोबल टेररिजम का एपिक सेंटर बताया था। जीटीआई ने कहा था कि यह वह क्षेत्र बन गया है जहां दुनिया भर में आतंकवाद से जुड़ी भी मौतों में से आधे से ज्यादा मौतें यही होती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 400 भारतीय इस समय माली में रहते और काम करते हैं। इनमें से कई कंस्ट्रक्शन, माइनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करते हैं।



