पूर्व आईएएस पूजा खेडकर को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगी रोक को लेकर दिया ये निर्णय

बीएस राय: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर को गिरफ्तारी पर लगी रोक को 17 मार्च तक बढ़ा दिया। उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने तथा गलत तरीके से ओबीसी और दिव्यांग कोटे का लाभ लेने का आरोप है।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
खेडकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि पुलिस उन्हें जांच के लिए नहीं बुला रही है और वह आने को तैयार हैं। शीर्ष अदालत ने एएसजी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 15 जनवरी को खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी किया था। खेडकर पर आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत करने का आरोप है।
उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया। उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया खेडकर के खिलाफ मजबूत मामला पाया और कहा कि व्यवस्था में हेरफेर करने की “बड़ी साजिश” का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है और राहत देने से व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उच्च न्यायालय ने कहा, “अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण समाप्त किया जाता है।” 12 अगस्त 2024 को जब उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था, तब खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया था और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है और यह मामला एक संवैधानिक संस्था और समाज के साथ धोखाधड़ी का उत्कृष्ट उदाहरण है। दिल्ली पुलिस के वकील और शिकायतकर्ता यूपीएससी ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया।
खेडकर के वकील ने तर्क दिया कि वह जांच में शामिल होने और सहयोग करने को तैयार हैं और चूंकि सभी सामग्री दस्तावेजी प्रकृति की है, इसलिए उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है, जबकि दिल्ली पुलिस ने अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर जोर दिया।
यूपीएससी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि खेडकर ने उसके और जनता के खिलाफ धोखाधड़ी की है तथा धोखाधड़ी की “व्यापकता” का पता लगाने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ आवश्यक है, जो दूसरों की मदद के बिना नहीं किया जा सकता था।
आयोग ने फर्जी पहचान के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के आरोप में खेडकर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने सहित कई कार्रवाई की तथा दिल्ली पुलिस ने विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की।