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महाकुंभ से पहले बिजली कर्मचारी बजाएंगे सरकार के लिए खतरे की घंटी ?

बीएस राय: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय में सैकड़ों कर्मचारी एकत्रित हुए और अपनी असहमति व्यक्त की। इसी तरह का विरोध वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और झांसी में भी हुआ, जिसमें इंजीनियर, संविदा कर्मचारी और सभी ऊर्जा निगमों के कर्मचारी शामिल हुए।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश भर के बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों ने नए साल को “काला दिवस” के रूप में मनाया। यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तहत संगठित प्रदर्शनकारियों ने शहर के कई कार्यालयों में काली पट्टियाँ पहनीं और मानव श्रृंखलाएँ बनाईं। समिति के नेताओं ने कहा कि प्रयागराज में 5 जनवरी को बिजली पंचायत का आयोजन किया जाएगा।

सैकड़ों कर्मचारी लखनऊ स्थित शक्ति भवन मुख्यालय और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय में एकत्रित हुए और अपनी असहमति व्यक्त की। इसी तरह का विरोध वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और झांसी में भी हुआ, जिसमें इंजीनियर, संविदा कर्मचारी और सभी ऊर्जा निगमों के कर्मचारी शामिल हुए।

समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा, “लखनऊ में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने शक्ति भवन में हाथ मिलाया और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। निजीकरण का विरोध करने के लिए प्रमुख शहरों में भी इसी तरह की मानव श्रृंखला बनाई गई।”

अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए प्रदर्शनकारियों ने बिजली निगम प्रबंधन का बहिष्कार किया और पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशकों को नववर्ष की शुभकामनाएं देने से परहेज किया।

समिति नेताओं ने बताया कि राज्यव्यापी जागरूकता प्रयासों के तहत 5 जनवरी को प्रयागराज में एक “बिजली पंचायत” का आयोजन किया जाएगा।

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