अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है भारत की सांस्कृतिक शक्ति की पहचान

राघवेन्द्र प्रताप सिंह : 21 जून को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है। इसके लिए अभी से कार्यक्रमों का आयोजन भी शुरू हो चुका है। विश्व भर में भारत के जितने दूतावास या उच्चायोग हैं वहां योग के महत्व के प्रसार के लिए भारत का विदेश मंत्रालय अभी से सक्रिय हो चुका है। भारत का मानना है कि वैश्विक शांति सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका का लाभ लिया जाना आवश्यक है।

आज विश्व में जिस तरीके से युद्ध, अपराध, सिविल वॉर, घरेलू हिंसा, मानवाधिकारों का उल्लंघन जैसी समस्याएं व्याप्त हैं, उन सब का कारण विकृत चित्त है और योगा में इतनी शक्ति है कि वह विकृत चित्त वाले व्यक्ति को स्थिर चित्त वाले व्यक्ति में बदल सकता है जिससे व्यक्ति, परिवार, समाज ,देश और वैश्विक समुदाय को एक बेहतर कार्य संस्कृति मिल सकती है। वर्तमान समय में पूरा विश्व योग के महत्व को मान रहा है क्योंकि योग संस्कृति से जुड़कर कई समाजों ने शांतिपूर्ण समाजों का दर्जा हासिल किया है। आयुष सचिव पद्मश्री राजेश कोटेचा ने एम्स दिल्ली के एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया है कि संपूर्ण स्वास्थ्य में योग का महत्व साबित हो चुका है। जिम जाने वाले और योग का अभ्याय करने वालों के बीच के तुलनात्मक अध्ययन में सामने आया कि योग का अभ्यास करने वालों में सतो गुण और जिम जाने वालों में रजो गुण तथा तमोगुण की अधिकता देखी गई है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हाल ही में भारत के आयुष मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने 9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में अपने समारोहों की शुरुआत कर दी है।

जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पर्यावरण मित्र जीवन शैली आज दुनिया की सबसे बड़ी जरूरत है और योग ने विश्व में इसकी राह दिखायी है। योग भारत की सांस्कृतिक विरासत है। योग के जरिये पर्यावरण संरक्षण संकल्प पूरे विश्व के लिए जरूरी है। योग का पहली बार उल्लेख सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद में किया गया था। यह आध्यात्मिक विधा एक सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है, जिसका उद्देश्य शरीर और मस्तिष्क के बीच सद्भाव लाना है। योग के महत्व को समझने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि योग क्या है। योग हजारों वर्षों से ऋषियों के अथक ध्यान का परिणाम है। हमारे ऋषियों ने योग को ‘समत्वम योग उच्यते’ के रूप में परिभाषित किया है, जिसका अर्थ है संतुलन तथा सुख और दुख दोनों में संतुलित रहना। योग ने विश्व को एक सूत्र में पिरोया है, वैश्विक मूल्यों को नया अर्थ दिया है और विभिन्न स्वास्थ्य प्रणालियों को एक-दूसरे के निकट लाया है।

योग और कोविड महामारी प्रबंधन :
पूरा विश्व कोविड-19 के रूप में कठिन समय से गुजरता रहा है। योग और आयुर्वेद ने महामारी पर नियंत्रण पाने में सहायता की है। रिपोर्टों के अनुसार, कोविड-19 रोगियों के मनोवैज्ञानिक संकट को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है और इसका समाधान नहीं किया जाता है। कोविड देखभाल अस्पतालों में चिंता और तीव्र अवसाद के बाद आत्महत्या की भी रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं। विभिन्न देशों से प्राप्त समाचारों के अनुसार, कई रोगियों को पृथकवास की चिंता और लक्षणों के बिगड़ने के डर से बड़े संकट का सामना करना पड़ा है।

श्वसन संकट, हाइपोक्सिया, थकान और अनिद्रा और अन्य लक्षणों जैसी जटिलताओं को भी देखा गया है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के हस्तक्षेप ने कोविड-19 रोगियों को ठीक करने में सहायता प्रदान की है। श्वांस लेने के सरल व्यायाम और प्राणायाम को महामारी के लक्षण वाले रोगियों और श्वसन संकट वाले लोगों में एसपीओ 2 के स्तर को बढ़ाने के लिए सहायक के रूप में देखा गया है। सीसीआरवाईएन द्वारा किए गए अध्ययनों की प्रारंभिक रिपोर्ट भी इन निष्कर्षों को मान्यता प्रदान करती है। वर्तमान प्रोटोकॉल कोविड-19 रोगियों के इन लक्षणों और मनोवैज्ञानिक विकृति की समस्या के समाधान करने के लिए एक सहयोगी प्रयास है। ऑनलाइन कार्यशाला से योग और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करते हुए कोविड-19 की महामारी विज्ञान, बीमारी के पाठ्यक्रम, संकट और मानसिक विकृति के लिए स्क्रीनिंग, संकट के प्रबंधन और मनोवैज्ञानिक अलगाव के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद देगी।

योगा और सांस्कृतिक कूटनीति-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से हुई। 27 सितंबर 2014 को पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकसाथ योग करने की बात कही थी। इसके बाद महासभा ने 11 दिसंबर 2014 को इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और तभी से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अस्तित्व में आया। इसे भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के रूप में भी देखा जाता है । वैश्विक स्तर पर योग की बढ़ती लोकप्रियता ने भारत और कई देशों के सांस्कृतिक संबंधों को इस आधार पर मजबूती दी है । यूरोपीय देशों के साथ ही चीन जैसे देशों में भी योग की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है । इसी क्रम में चीन में भी पांचवे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने इस संदर्भ में कहा था कि योग भारत और चीन के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है जो ” दोस्ती एवं सहयोग” की भावना के साथ मिलकर काम करने के लिए फायदेमंद है। वहीं नौफ मरवाई जिन्हें सऊदी अरब में आधिकारिक तौर पर पहली महिला योगा टीचर के तौर पर चुना गया , उन्हें भारत अपनी योग डिप्लोमेसी के तहत पद्म श्री के सम्मान से सम्मानित कर चुका है ताकि योग का प्रसार अरब या खाड़ी क्षेत्रों में हो। यह भारत की पहल की ही देन है कि सऊदी अरब खेल मंत्रालय ने जेद्दा में एक योग कार्यशाला का आयोजन किया। योगा कार्यशाला का आयोजन, ‘अरब यूथ एम्पावरमेंट प्रोग्राम’ के बैनर तले किया जा गया जिसमें 11 अरब देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन अरब देशों में संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, यमन, फिलिस्तीन, मिस्र, लीबिया, एलेग्रिया, मोरक्को, ट्यूनीशिया और मॉरिटानिया शामिल हैं।

वहीं भारत में राज्यों के स्तर पर योग के प्रचार प्रसार की बात करें तो हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हरियाणा में सौ एकड़ क्षेत्र में योग विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में 550 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिनमें से आधे से अधिक केंद्रों को आयुष से जोड़ा जाएगा। हरियाणा देश का पहला राज्य है जिसने योग-आयोग की स्थापना की है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश सहित देश के सभी राज्यों में योग इंस्ट्रक्टर नियुक्त किए जा रहे हैं। कालेजों, विश्वविद्यालयों में योग के अध्ययन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व के लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को समृद्ध करने के लिए अपने सॉफ्ट पावर योग को आगे बढ़ाने की हमारी विशेष जिम्मेदारी है। इस वर्ष हम आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र में सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। जयपुर में योग महोत्सव को मिली अद्भुत प्रतिक्रिया से योग को एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा आंदोलन बनाने के हमारे प्रयासों को बल मिला है।

आसान व प्राणायाम का महत्व :
योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपालभाति जैसी योग क्रियाएं शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावी सांस की क्रियाएं हैं। इनका नियमित अभ्यास करने से लोगों को सांस संबंधी समस्याओं और उच्च व निम्न रक्तदाब जैसी बीमारियों में आराम मिलता है। योग वह इलाज है जिसका प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास किया जाए, तो यह बीमारियों से धीरे-धीरे छुटकारा पाने में काफी सहायता करता है।

यह हमारे शरीर में कई सारे सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियमित करता है। कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी एवं भस्त्रिका प्राणायाम स्वास्थ्य के साथ आपके वजन को कम करने में भी लाभकारी होते हैं। प्राणायाम के द्वारा डायबिटीज, अत्यधिक वजन, मानसिक तनाव आदि से छुटकारा पा सकते हैं। स्वस्तिकासन से पैरों के दर्द में, गोमुखासन से यकृत, गुर्दे एवं गाठिया को दूर करने में, गोरक्षासन से मांसपेशियो में रक्त संचार बढ़ाने एवं योगमुद्रासन चेहरा सुन्दर व मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता है। योग के दौरान श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेना और छोड़ना सबसे मुख्य है।

योग के फायदे :
योग के फायदे बच्चों से लगाकर बुजूर्गों, महिलाओं एव गर्भवती महिलाओं सभी को होते है. योग में हजारों बिमारियों को ठीक करने के गुण छुपे हुए हैं। दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करना हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही कई सारी भयानक बीमारियों जैसे- कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च व निम्न रक्त दाब, हृदय रोग, किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, गले की समस्याओं तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करता है। इस बात को देश-विदेश के चिकित्सक तक मान चुकें हैं जो बीमारियां दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती उनका इलाज भी योग में सम्भ्व है। नियमित योग करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं, योग के विभिन्न आसनों से शरीर के अलग-अलग हिस्सों को फायदा पहुचंता है।



