सस्ते होंगे कर्ज, घटेगी आपकी EMI

नई दिल्ली: आरबीआईगवर्नर संजय मल्होत्रा शुक्रवार सुबह मौद्रिक नीति समिति की तीन-दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा कर दी है। उन्होंने रेपो रेट में 0.25 पर्सेंट की कटौती की है। यानी आपको सस्ते कर्ज और लोन के लिए अभी और इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया। वहीं, आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।
द्विमासिक मौद्रिक नीति पर एमपीसी की बैठक बुधवार को शुरू हुई थी। MPC की यह नीति बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में आर्थिक विकास मजबूत है, महंगाई दर ऐतिहासिक रूप से कम स्तर पर है, और भारतीय रुपया लगभग 90 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के आसपास बना हुआ है।
इस वर्ष की शुरुआत में, आरबीआई ने फरवरी से शुरू होकर तीन बैठकों में रेपो दर में 100 आधार अंकों (1%) की कटौती की थी। अपनी अक्टूबर की नीति में, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 5.50% पर अपरिवर्तित रखा और नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखा। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) विकास अनुमान को पहले के 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया और वित्त वर्ष 2026 के सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को भी पहले के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया।
क्या थी अर्थशास्त्रियों की उम्मीद
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में लिए गए निर्णयों की घोषणा करेगा। विशेषज्ञों ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती किए जाने की उम्मीद जताई है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि तीसरी बार रेपो रेट को स्थिर रखा जा सकता है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा शुक्रवार सुबह मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन-दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे। अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर एमपीसी की बैठक बुधवार को शुरू हुई थी। यह बैठक घटती मुद्रास्फीति, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तेज वृद्धि, डॉलर के मुकाबले रुपये के 90 के पार जाने और मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों की पृष्ठभूमि में हो रही है।
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बीच आरबीआई ने फरवरी से रेपो रेट में तीन किस्तों में कुल एक प्रतिशत की कटौती की है। हालांकि, पिछली दो बार से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट ने प्रमुख अल्पकालिक ऋण दर में कटौती की अतिरिक्त गुंजाइश पैदा कर दी है। आरबीआई गवर्नर ने भी पिछले महीने कहा था कि नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश है।
कोई बदलाव नहीं होने की संभावना
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई ब्याज दर में यथास्थिति कायम रख सकता है क्योंकि आर्थिक वृद्धि में तेजी आई है जो राजकोषीय समेकन, लक्षित सार्वजनिक निवेश और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर में कटौती जैसे विभिन्न सुधारों से बनी हुई है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुख्य मुद्रास्फीति सरकार द्वारा निर्धारित दो प्रतिशत के निचले स्तर से नीचे बनी हुई है। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में अपेक्षा से बेहतर 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की है।
आरबीआई पर जिम्मेदारी
सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। आरबीआई के पहली छमाही के अपेक्षा से बेहतर आंकड़ों को देखते हुए अपने जीडीपी वृद्धि अनुमान को संशोधित करके बढ़ाने की भी उम्मीद है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी अनुमान को अक्टूबर में 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया था।



