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अफगानिस्तान में नैतिकता बनाम टेक्नोलॉजी की जंग

राघवेन्द्र प्रताप सिंह: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार हर उस चीज पर देश में प्रतिबंध लगा देना चाहती है जिससे लोग इस्लामी मूल्यों, शरिया के मूल्य से हटकर न सोचें। अब इस मामले में वाईफाई सुविधा को भी तालिबान अनैतिकता को फैलाने वाला मान रहा है और इसे रेग्यूलेट करने के लिए सामने आया है। अफगानिस्तान में तालिबान ने ऐसी पकड़ बनाई है कि आज आम लोगों के लिए बुनियादी मानी जाने सुविधाएं भी मुहाल हो गई है। तालिबान ने अब “अनैतिकता को रोकने” के लिए एक अफगान प्रांत में फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट यानी वाईफाई इंटरनेट पर बैन लगा दिया है। एपी की रिपोर्ट के अनुसार एक तालिबानी प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी है।

रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2021 में तालिबान ने जब सत्ता पर कब्जा किया, उसके बाद यह पहली बार है कि इस तरह का बैन लगाया गया है। यह बैन अभी बल्ख प्रांत में लगाया गया है जहां अब सरकारी ऑफिस, प्राइवेट ऑफिस, सार्वजनिक संस्थानों और घरों में से वाईफाई इंटरनेट हटा लिया गया है। हालांकि, मोबाइल इंटरनेट चालू है। प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता हाजी अताउल्लाह जैद ने कहा कि नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा के पूर्ण प्रतिबंध के आदेश के चलते बल्ख में अब केबल इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जैद द्वारा बताया गया है कि यह कदम अनैतिकता को रोकने के लिए उठाया गया है और जरूरतों के लिए देश के भीतर ही एक वैकल्पिक व्यवस्था तैयार की जाएगी।

बल्ख में रहने वाले निवासियों का कहना है कि , “इतने एडवांस युग में इंटरनेट को ब्लॉक करना उनकी समझ से परे है।” उन लोगों का कहना है कि वे मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं क्योंकि यह धीमा और महंगा है।

उल्लेखनीय है कि मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 में सूचना प्राप्त करने, प्राप्त करने और प्रदान करने का अधिकार शामिल है। संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि इंटरनेट इस अधिकार को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भी 2013 और 2021 में इंटरनेट पर मानव अधिकारों को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और उनका आनंद लेने से संबंधित प्रस्ताव पारित किए हैं, जो इंटरनेट को मानवाधिकार के रूप में देखने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इंटरनेट ने व्यक्तियों को राष्ट्रीय सीमाओं के पार सूचना और विचारों को तुरंत और कम लागत में खोजने, प्राप्त करने और प्रसारित करने की क्षमता प्रदान की है। इसलिए तालिबान का इस तरह के अधिकारों का उल्लंघन दुर्भाग्यपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र के कुछ प्रस्तावों में इंटरनेट को एक मानव अधिकार के रूप में देखा गया है, क्योंकि यह सूचना, अभिव्यक्ति और अन्य अधिकारों तक पहुँचने का एक माध्यम है, जो मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुरूप है।

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