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BSP चीफ मायावती को लेकर लोकसभा सांसद ने उदित राज ने क्यों दिया विवादित बयान, कार्यकर्ताओं में आक्रोश

बीएस राय: बसपा प्रमुख मायावती पर तीखा हमला करते हुए पूर्व लोकसभा सांसद उदित राज ने कहा है कि उन्होंने “सामाजिक आंदोलन का गला घोंट दिया है” और अब उनका गला घोंटने का समय आ गया है। राज ने कहा, “महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने भगवान कृष्ण से पूछा कि वह अपने चचेरे भाई-बहनों और रिश्तेदारों को कैसे मारेंगे, तो भगवान कृष्ण ने कहा कि कोई चचेरे भाई-बहन और रिश्तेदार नहीं होते। न्याय के लिए लड़ो और अपने ही लोगों को मार डालो।”

उन्होंने कहा, “आज मेरे कृष्ण ने मुझसे कहा है कि पहले अपने दुश्मन को मारो। और सामाजिक न्याय की दुश्मन सुश्री मायावती, जिन्होंने सामाजिक आंदोलन का गला घोंट दिया, अब उनका गला घोंटने का समय आ गया है।”

अपनी टिप्पणी के बारे में सवालों का जवाब देते हुए राज ने मंगलवार को पीटीआई से कहा, “बहुजन समाज के आंदोलन का गला घोंट दिया गया…करोड़ों कार्यकर्ताओं ने भूखे-प्यासे रहकर पार्टी और एक आंदोलन खड़ा किया, इस बहुजन आंदोलन का गला घोंट दिया गया।” राज ने कहा, “इस पर जब मीडिया ने मुझसे सवाल पूछे तो मैंने कहा कि निश्चित रूप से, उनका भी राजनीतिक रूप से गला घोंट दिया जाना चाहिए। मेरा मतलब राजनीतिक मौत से था और कुछ नहीं।”

उन्होंने कहा, “पूरी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश करना सही नहीं है। राजनीतिक उल्लेखों के दौरान आमतौर पर राजनीतिक मौत या लोकतंत्र की हत्या का जिक्र किया जाता है और इसे उसी प्रकाश में लिया जाता है। अन्यथा नहीं।”

जब उनसे वायरल वीडियो के बारे में पूछा गया, जिसमें वे ‘गला घोट देना चाहिए’ टिप्पणी को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि उनके ‘कृष्ण’ ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया है, तो राज ने कहा, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सभाजीत यादव, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी (डोमा) परिसंघ के संरक्षक भी मेरे साथ मौजूद थे। उ

न्होंने मेरा जिक्र करते हुए कहा था ‘मुझे मेरा अर्जुन मिल गया है। जवाब में, मैंने उनसे कहा कि वे हमारे ‘कृष्ण’ हैं। न्यायमूर्ति यादव ने यह भी कहा था कि न्याय के लिए लड़ने में कृष्ण अर्जुन का मार्गदर्शन करते हैं, भले ही इसका मतलब खुद के खिलाफ ही क्यों न हो। यह मेरी टिप्पणी और मेरे कृष्ण सादृश्य का संदर्भ था। लेकिन अब इसे बदला जा रहा है।”

उन्होंने पीटीआई से यह भी कहा कि वे अपने बयान के इरादे और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा इसकी गलत व्याख्या किए जाने के बारे में स्पष्टीकरण भी जारी करेंगे। राज ने सोमवार को यह भी कहा था कि “मुस्लिम समुदाय आज उसी दौर से गुजर रहा है, जिस दौर में दलित एक समय बुरी स्थिति में थे।”

उन्होंने कहा, “मुस्लिम समुदाय अकेले इस स्थिति से नहीं लड़ सकता। दलित भी अकेले सक्षम नहीं हैं। जब भी मुस्लिम समुदाय अपनी समस्या उठाता है, तो उसका परिणाम सांप्रदायिकता में बदल जाता है।” राज ने कहा, “1980 के दशक के बाद कांशीराम जी ने उत्तर प्रदेश में बहुजन जागरण की शुरुआत की, जो 2000 के दशक में अपने चरम पर पहुंच गया। भले ही आंदोलन की परिणति राजनीति में हुई, लेकिन इसकी सोच और आधार सामाजिक न्याय रहा है।” उन्होंने कहा, “अन्य राजनीतिक दल राजनीति से शुरू करते हैं और राजनीति पर ही खत्म करते हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के साथ ऐसा नहीं हुआ।”

मायावती पर हमला करते हुए पूर्व लोकसभा सांसद ने कहा, “सुश्री मायावती की क्रूरता और अक्षमता के बावजूद कार्यकर्ता और मतदाता लड़ते रहे। कार्यकर्ताओं के घर बिक गए, उनके बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके और उनके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया, फिर भी वे बहुजन राज लाने के लिए संघर्ष करते रहे।” उन्होंने कहा, “फुले, शाहू, अंबेडकर को मानने वाले लाखों कार्यकर्ता निराशा के दौर से गुजर रहे हैं। कुछ लोगों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे संगठन बना लिए हैं, लेकिन उनकी सोच खत्म नहीं हुई है।”

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