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Delhi Assembly Election: राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच यमुना का पानी, आखिर किसका दावा सही है?

बीएस राय: दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यमुना नदी के पानी को लेकर राजनीतिक बयानबाजी ने जोर पकड़ लिया है। यह विवाद अब दिल्ली से हरियाणा तक फैल गया है, जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है।

केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज, हरियाणा में गरमाई सियासत हरियाणा के सोनीपत प्रशासन ने यमुना के पानी को लेकर हाल ही में दिए गए बयान को लेकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। केजरीवाल ने चेतावनी दी थी कि यमुना का पानी दिल्ली के नागरिकों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, खासकर अमोनिया की मिलावट के कारण। इसके जवाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने केजरीवाल के यमुना का पानी पीकर दिए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे सिरे से खारिज कर दिया।

नायब सिंह सैनी का हमला गुरुवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी यमुना नदी पहुंचे और सार्वजनिक रूप से यमुना का पानी पिया। इस मौके पर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि “मैंने बिना किसी झिझक और बिना किसी झिझक के यमुना का पानी पिया।”

उन्होंने आप नेता आतिशी के बयान को भी खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली की जनता अब इन धोखेबाजों को पहचान चुकी है और 5 फरवरी को अरविंद केजरीवाल की “आप-दा” सरकार का अंत निश्चित है। सैनी ने यह भी कहा कि दिल्ली की जनता इस बार आप पार्टी का साथ नहीं देगी, क्योंकि अब उनका राजनीतिक स्टंट बेनकाब हो चुका है।

हरियाणा और दिल्ली के बीच सदियों पुराना भाईचारा है और इस बार दिल्ली की जनता इसका जवाब देगी। केजरीवाल का पलटवार: “ढोंग किया गया” इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने नायब सिंह सैनी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने यमुना का पानी पीने का सिर्फ दिखावा किया और फिर उसे वापस यमुना में थूक दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने यमुना के पानी में अमोनिया की मिलावट के बारे में चेतावनी दी तो सैनी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी। केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “वे वही पानी दिल्ली के लोगों को देना चाहते हैं जो खुद नहीं पी सकते। मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।”

इस समय यमुना के पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा दोनों सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज है। एक तरफ जहां हरियाणा सरकार इसके पानी को शुद्ध और सुरक्षित बता रही है, वहीं दिल्ली सरकार इसे जनता के लिए खतरा मानते हुए अपने मुद्दे पर अड़ी हुई है। यह विवाद न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यमुना के पानी के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

यमुना के पानी की गुणवत्ता पर यह बहस आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बड़ा मुद्दा बन गई है। देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली और हरियाणा की सरकारें इस मामले में आगे क्या कदम उठाती हैं और जनता किसकी बातों को सही मानकर वोट करती है। चुनाव नजदीक आने पर यह विवाद और गहरा सकता है, क्योंकि दोनों ही पक्ष अपने-अपने नजरिए से यमुना के पानी को लेकर अपनी-अपनी राजनीति चला रहे हैं।

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