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चुनावी राजनीति में हथियार बना पानी, जानिए यमुना में अमोनिया को लेकर क्यों मचा बवाल

बीएस राय: देश की राजधानी दिल्ली में चुनावी माहौल के बीच जल विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। यमुना नदी में बढ़े अमोनिया स्तर को लेकर दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) और हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। इस विवाद ने राजनीति के नए मोर्चे खोल दिए हैं, जिसमें एक तरफ दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री चुनाव आयोग पहुंच गए हैं, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में पलटवार किया है।

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा पर यमुना नदी में जानबूझकर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि हरियाणा से आने वाले पानी में अमोनिया का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई। आप ने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि चुनावी माहौल में जनता को असुविधा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आम आदमी पार्टी के आरोपों को खारिज करते हुए अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। नरेला विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए सैनी ने कहा कि केजरीवाल झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने कभी पानी की समस्या नहीं होने दी। यह वही पवित्र यमुना है जिसमें भगवान कृष्ण ने कालिया नाग का वध कर इसे पवित्र किया था। लेकिन केजरीवाल ने अपनी राजनीति के लिए हरियाणा की पवित्र धरती को कलंकित किया है।”

सैनी ने चुनावी रैली के मंच से जनता को भरोसा दिलाया कि हरियाणा सरकार यमुना को स्वच्छ और निर्मल रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आप केवल चुनावी लाभ लेने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है।

दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार यह मुद्दा चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभा रहा है। आम आदमी पार्टी इस विवाद को जनता के बीच ले जाकर इसे हरियाणा सरकार की विफलता बता रही है, जबकि हरियाणा सरकार इसे राजनीतिक चाल बताकर खारिज कर रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना में बढ़ते प्रदूषण का मुद्दा सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराज्यीय मुद्दा है, जिसे सुलझाने के लिए सभी दलों को मिलकर काम करना होगा। हालांकि चुनावी माहौल में दोनों दलों के बीच यह विवाद जल्द सुलझता नहीं दिख रहा है।

यमुना नदी के प्रदूषण का मुद्दा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहिए। समय की मांग है कि केंद्र सरकार, दिल्ली और हरियाणा एक साथ आकर एक साझा योजना बनाएं। वैज्ञानिक और तकनीकी उपायों के जरिए नदी की सफाई और प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप से इतर जनता को उम्मीद है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर यमुना जैसी जीवनदायिनी नदी को बचाने का काम करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या चुनावी राजनीति से ऊपर उठकर यह संभव हो पाएगा?

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