Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में जीत को लेकर इतनी आश्वस्त क्यों है बीजेपी ?

बीएस राय: महाराष्ट्र चुनाव 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूरी तरह आश्वस्त है। पार्टी का मानना है कि महायुति यानी भाजपा और शिवसेना (शिंदे) गठबंधन आगामी चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) पर भारी पड़ेगा। भाजपा को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को जितनी सीटें मिली थीं, विधानसभा चुनाव में उसका उलटा असर होगा।
पार्टी नेताओं का कहना है कि महा विकास अघाड़ी खासकर कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) के कमजोर प्रदर्शन के कारण चुनाव हारने जा रही है। दरअसल, भाजपा महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) को महा विकास अघाड़ी की कमजोर कड़ी के तौर पर देख रही है, ठीक वैसे ही जैसे उसने झारखंड में कांग्रेस को कमजोर पाया था। कांग्रेस को कमजोर कड़ी क्यों मानती है भाजपा? भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हमेशा निर्णायक साबित हुआ है।
कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में 102 सीटों पर चुनाव लड़ना कभी आसान नहीं रहा और भाजपा को भरोसा है कि वह करीब 50 सीटों पर कांग्रेस को मात देने में सफल रहेगी। पिछले एक दशक के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा का दावा है कि कांग्रेस अपने मुद्दों और रणनीतियों में असहज रही है, जिसके कारण उसे हर बार हार का सामना करना पड़ा है। इसी कारण भाजपा को लगता है कि झारखंड की तरह महा विकास अघाड़ी में भी कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहेगा।
कांग्रेस के प्रचार तंत्र की आलोचना करते हुए भाजपा ने कहा कि उनकी रणनीति और चुनाव प्रचार की दिशा स्पष्ट नहीं है, जिसके कारण पार्टी को मतदाताओं के बीच छवि बनाने में दिक्कत आ रही है। खासकर झारखंड में पार्टी का फीका प्रचार इसका उदाहरण बन गया है। शिवसेना (उद्धव) को भी भाजपा कमजोर मान रही है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि महा विकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा शरद पवार की पार्टी एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के पक्ष में रहा है। शरद पवार की रणनीति और प्रभावी नेतृत्व के कारण एनसीपी के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है, जबकि कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) कमजोर कड़ी बनकर उभर सकती हैं। सीटों के चयन में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) की कई गलतियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि ये दोनों पार्टियां महा विकास अघाड़ी के लिए निराशाजनक साबित हो सकती हैं।
भाजपा नेताओं का मानना है कि शिवसेना (उद्धव) की राजनीति में आए बदलाव और पार्टी के अंदर चल रहे अंतर्कलह के कारण शिवसेना (उद्धव) महाविकास अघाड़ी का अभिन्न अंग बनने के बाद भी कमजोर प्रदर्शन करेगी। वहीं शिवसेना (शिंदे) अपने विकास कार्यों और लाडली बहन योजना के साथ बेहतर चुनाव प्रचार करेगी, जिससे महायुति को सफलता मिलने की संभावना अधिक है।
भाजपा का मानना है कि हिंदू एकता और आरएसएस का समर्थन इस चुनाव में महायुति के लिए बड़ी ताकत साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे “एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे” और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे “बंटोगा तो कटोगा” ने हिंदू वोटों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है। इन नारों से ओबीसी वर्ग में भी एकता देखने को मिली है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
इस चुनाव में आरएसएस कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम रहने वाली है। इस बार आरएसएस ने पूरे चुनाव अभियान में भाजपा के साथ समन्वय बनाकर काम करने का फैसला किया है। उनका उद्देश्य मतदाताओं तक पहुंचना और हर बूथ पर एक मजबूत आधार बनाना है, जिससे भाजपा को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी बढ़त मिलेगी।
भाजपा को भरोसा है कि विदर्भ में किसानों की स्थिति में सुधार और अनुकूल मौसम के कारण पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन किसानों के लिए किए गए राहत कार्यों और बेहतर मौसम के कारण पार्टी को विधानसभा चुनाव में फायदा होने की उम्मीद है।
भाजपा का अनुमान है कि महाराष्ट्र में महायुति का प्रदर्शन महाविकास अघाड़ी से काफी बेहतर रहेगा। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) के कमजोर प्रदर्शन के कारण भाजपा को उम्मीद है कि महाविकास अघाड़ी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा। भाजपा की नजर महायुति की मजबूत स्थिति पर है और पार्टी को भरोसा है कि इस चुनाव में वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़कर महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा करेगी।