कोरे आश्वासनों का झुनझुना बजा रहे हैं भावी प्रधानाचार्य : राघवेन्द्र प्रताप सिंह

कोरे आश्वासनों का झुनझुना बजा रहे हैं भावी प्रधानाचार्य : राघवेन्द्र प्रताप सिंह


लखनऊ। एक ओर जहां उत्तर प्रदेश के 760 राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्य नहीं हैं। ऐसे में कहीं उप प्रधानाचार्य के कंधों पर यह जिम्मा हैं तो कहीं वरिष्ठ प्रवक्ताओं के। इस स्थिति के बावजूद सम्मिलित राज्य प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2018 में चयनित 83 अभ्यर्थियों में से 61 की संस्तुति कर लोक सेवा आयोग ने शासन को भेजी लेकिन बावजूद इसके अभी तक इनकी नियुक्तियां नहीं हो सकीं हैं। जबकि इस प्रकरण से उप मुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डा. दिनेश शर्मा भिज्ञ हैं और वह स्वयं दो बार यह आश्वासन दे चुके हैं कि जल्द ही नियुक्तियां होंगी लेकिन फिलहाल चयनित अभ्यर्थियों के हाथ में सिर्फ आश्वासन झुनझुना ही लगा है।

सनद रहे कि यूपी पीसीएस-2018 का परिणाम 11 सितम्बर 2020 को घोषित हुआ था। जिसमें राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य के पद पर 83 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। परिणाम घोषित होने के बाद मंडलायुक्त के माध्यम से संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा जांच के बाद आयोग द्वारा शासन को दो मार्च 2021 को 61 अभ्यर्थियों की संस्तुति शासन को भेजी गयी। बाद में इससे संबंधित पत्रावली कार्मिक विभाग ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को 18 मार्च 2021 का अग्रसरित कर दी। लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। तीन महीने इंतजार करने के बाद 07 जून 2021 को उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को चयनित अभ्यर्थियों ने एक ज्ञापन सौंप नियुक्तियों की मांग की। जिस पर डा. शर्मा ने सभी 61 चयनित अभ्यर्थियों के निर्धारित प्रपत्र में सत्यापन पत्र व स्वघोषणा पत्र प्राप्त कर शीघ्र नियुक्ति पत्र जारी करने का आश्वासन था। लेकिन जब इस दिशा में फिर कोई पहल नहीं हुई तब एक बार फिर करीब डेढ़ माह बाद 19 जुलाई 2021 को एक प्रतिनिधिमण्डल ने उप मुख्यमंत्री डा. शर्मा को पुनः ज्ञापन सौंपा।

जिस पर उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर एक सप्ताह में नियुक्ति का लिखित आश्वासन दिया। अभ्यर्थी फिर आश्वासन का झुनझुना बजाते इस आषा से लौट गए कि अब उनकी नियुक्तियां हो जायेंगी लेकिन अब तक इस दिषा में कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं हुई। उधर नियुक्ति को लेकर भटक रहे अभ्यर्थियों ने अपर मुख्य सचिव श्रीमती अराधना शुक्ला, विशेष सचिव जयशंकर दुबे, शम्भु कुमार तथा निदेशक विनय पाण्डे से भी मिलकर अपनी व्यथा कथा कही। यहां से भी उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता रहा लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला। इस बीच अभ्यर्थियों ने तीसरी बार डा. दिनेश शर्मा से सम्पर्क साधने का प्रयास किया लेकिन उनकी प्रत्यक्ष भेंट तो नहीं हो सकी लेकिन फोन पर एक बार फिर एक सप्ताह में नियुक्ति पत्र दे देने का आश्वासन गया।

अब तो स्थिति यह है कि परीक्षा परिणाम आये एक साल होने को हैं लेकिन अभ्यर्थियों को अब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला। हर बार आस्वासन मिलने के बाद अब तो यह चयनित अभ्यर्थी भी निराश हो चले हैं। इनमें से कई तो अवसाद के शिकार भी हो गये हैं। इन अभ्यर्थियों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार उनके साथ इस प्रकार का सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है। कुल मिलाकर राजकीय इंटर कालेज के भावी प्रधानाचार्य फिलवक्त आश्वासन झुनझुना बजाने को मजबूर हैं।

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