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मेंटॉरशिप के बिना स्टार्टअप आगे नहीं बढ़ सकते, सिर्फ फंडिंग पर्याप्त नहीं: डॉ. जितेंद्र सिंह

नई दिल्ली : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की अगली पीढ़ी के स्टार्टअप को आकार देने में फंडिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका मेंटॉरशिप की होगी। उन्होंने शोध में जोखिम लेने की संस्कृति और युवा नव प्रवर्तकों को शुरुआती मार्गदर्शन देने की आवश्यकता पर बल दिया।डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात आज यहां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) के दूसरे दिन “स्टार्टअप जर्नीज” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान कहा कि भारत सीमित विज्ञान शिक्षा की स्थिति से निकल कर अब ऐसे दौर में पहुंच चुका है, जहां अवसर लोकतांत्रिक ढंग से छोटे शहरों और साधारण पृष्ठभूमि के युवाओं तक पहुंच रहे हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता अब केवल नीति निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि विचारों को बाजार से जोड़ने वाला मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है। जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद, राष्ट्रीय मिशन और सेक्टर-विशिष्ट कार्यक्रमों के जरिए स्टार्टअप को फंडिंग, उद्योग और मेंटरशिप से जोड़ा जा रहा है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नवाचार असफलताओं के बिना संभव नहीं है इसलिए शोध और विकास में जोखिम को स्वीकार करना होगा, तभी भारतीय स्टार्टअप वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। स्वास्थ्य तकनीक और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारत ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जो पहले केवल विदेशों में ही उपलब्ध थीं।युवा उद्यमियों के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि स्टार्टअप शुरू करने से पहले उद्देश्य और क्षमता की स्पष्ट समझ जरूरी है। खासकर छात्र-छात्राओं के लिए सरकार शुरुआती स्तर पर प्रतिभा पहचान और मार्गदर्शन से जुड़े कार्यक्रमों का विस्तार कर रही है। नियामकीय बाधाओं को लेकर उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि सरकार डी-रेगुलेशन, डी-लाइसेंसिंग और डी-क्रिमिनलाइजेशन की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है, ताकि उद्यमी अनुपालन के बजाय नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर सकें। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी भारत की नवाचार नीति का केंद्रीय स्तंभ बनी रहेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चों में जिज्ञासा को बढ़ावा देना और उन्हें सवाल पूछने का आत्मविश्वास देना उतना ही जरूरी है जितना फंडिंग या बुनियादी ढांचा, क्योंकि भारत 2047 के लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है।

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