कोहली का आध्यात्मिक सफ़र: परिवार संग पहुंचे वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर

भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार विराट कोहली, उनके परिवार के सदस्य और ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर रविवार को श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर पहुंचे, जहाँ उन्होंने विशेष पूजा-अर्चना की। यह दौरा न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा से जुड़ा था बल्कि एक सफल सीरीज जीत के बाद खिलाड़ियों के लिए मानसिक शांति पाने का अवसर भी था।

इससे एक दिन पहले टीम इंडिया ने तीसरे और अंतिम वनडे में दक्षिण अफ्रीका को नौ विकेट से हराकर सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया था। मंदिर के अधिकारियों ने कोहली और उनके परिवार का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें विशेष दर्शन के लिए भीतर ले जाया गया।

दर्शन से पहले कोहली ने पारंपरिक कप्पस्थम्भम अलिंगनम—यानी मंदिर के पवित्र स्तंभ को गले लगाने का अनुष्ठान—किया।
एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया, “कोहली अपने परिवार और भारतीय टीम के कुछ साथियों के साथ यहाँ दर्शन करने आए थे।”

साभार : गूगल

दर्शन के बाद पुजारियों ने नादस्वरम की ध्वनि के बीच वेद आशीर्वाद का पाठ किया। खिलाड़ियों को मंदिर की ओर से पवित्र वस्त्र, भगवान का चित्र और प्रसाद भेंट किया गया।

मैदान पर भी कोहली की चमक बरकरार रही। शनिवार के मुकाबले में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 65 रन बनाए। तीन मैचों की इस सीरीज में वे 302 रन के साथ सर्वोच्च स्कोरर रहे।

पहले दो वनडे में शतक जमाने के बाद तीसरे मैच में भी शानदार बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने ‘सीरीज का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ पुरस्कार हासिल किया। भारत ने तीसरा मैच जीतकर तीन मैचों की यह सीरीज 2-1 से जीत ली।

मैच के बाद पुरस्कार समारोह में कोहली ने खुलकर अपनी मानसिक स्थिति के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो इस श्रृंखला में जिस तरह से मैंने खेला, वह मेरे लिए सबसे संतोषजनक बात है। मैं वास्तव में किसी भी तरह का दबाव महसूस नहीं कर रहा हूं। पिछले दो-तीन साल से मैं इस तरह नहीं खेला था।”

कोहली ने आगे कहा, “मुझे पता है कि जब मैं इस तरह बल्लेबाजी करता हूं, तो यह टीम की बहुत मदद करता है। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है कि मैं किसी भी स्थिति को संभालकर मैच का रुख टीम की ओर मोड़ सकता हूं।”

अपने लंबे करियर पर विचार करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि हर दिग्गज खिलाड़ी की तरह उन्हें भी कभी-कभी संदेह घेर लेता है। “जब आप 15–16 साल तक खेलते हैं, तो कई बार खुद पर संदेह होने लगता है—खासकर एक बल्लेबाज के रूप में, जहाँ एक छोटी गलती आपको आउट कर सकती है। लेकिन यही यात्रा आपको एक खिलाड़ी और एक इंसान, दोनों रूपों में बेहतर बनाती है,” उन्होंने कहा।

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