आंध्र प्रदेश में ‘स्क्रब टाइफस’ से अब तक पांच की माैत, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

अमरावती : राज्य में ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी का प्रकाेप बढ़ता ही जा रहा है। इस घातक बीमारी से अब तक पांच लाेगाें की माैतहाे गई है। इसकी गंभीरता काे देखते मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू लगातार इसको लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने ‘स्क्रब टाइफस’ से मौत होने वाले जिलों का निरीक्षण कर इससे निपटने की तैयारियों का जायजा लिया ।विजयनगरम जिले की CH. राजेश्वरी (40) की 26 नवंबर को स्क्रब टाइफस के संदिग्ध लक्षणों के साथ मौत हो गई। डॉक्टरों ने पुष्टि किया कि उनकी मौत सांस की गंभीर दिक्कतों से हुई। इसके अलाखा पलनाडु जिले की एम. ज्योति (10) की स्क्रब टाइफस से मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार उसके शरीर के कई अंग खराब हो गए थे। इसी तरह बापटला जिले की एसके मस्तानबी (43) की मौत के बाद पता चला कि उन्हें तेज बुखार, मल्टीऑर्गन फेलियर, किडनी डैमेज और फेफड़ों में इन्फेक्शन से हुआ था। इसके अलावा पलनाडु जिले की वाई. नागम्मा (64) की मौत हो गई। डॉक्टरों ने कन्फर्म किया कि उसकी मौत शरीर में गंभीर इन्फेक्शन और मल्टीऑर्गन फेलियर की वजह से हुई। श्री पोट्टी श्रीरामुलु नेल्लोर जिले की संतोषी (5) की 4 दिसंबर को मौत हो गई। डॉक्टरों ने पाया कि इस बच्चे की मौत का कारण मल्टीऑर्गन फेलियर था।अभी हाल ही में मुख्यमंत्री नायडू और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इस बीमारी काे लेकर स्चास्थ्य विभाग के अधिकारियाें, डाॅक्टराें और विशेषज्ञाें के साथ समीक्षा बैठक कर चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री वाई सत्यकुमार यादव ने लोगों से सयंम बरतने और न घबराने की अपील की है। यह एक मलेरिया, डेंगू जैसा ही बुखार है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को सतर्क कर दिया गया है। इस बीमारी काे लेकर जागरूकता लाने का काम राज्य सरकार तेजी से कर रही हैविषेषज्ञाें के अनुसार अगर शरीर पर छोटा सा जलने जैसा धब्बा या रैश भी दिखे.. अगर एक-दो दिन बाद सिरदर्द, बुखार और बदन दर्द जैसे लक्षण दिखें, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह ‘स्क्रब टाइफस’ हो सकता है। इस बीमारी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल परीक्षण और सही इलाज से इस बीमारी को शुरुआती चरण में ही इस पर काबू पाया जा सकता है। राज्य में स्क्रब टाइफस के संदिग्ध मामलों की जांच बड़े सरकारी अस्पतालों, मेडिकल अस्पतालों और जिला अस्पताल में किये जा सकते हैं। इस के अलावा 17 सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भी परीक्षण की व्यवस्था उपलब्ध हैं। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि टिक जैसे एक छोटे कीड़े के काटने से इस बीमारी हाेने का खतरा है। लोगों को इससे बचने के लिए सावधान रहना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रब टाइफस इंफेक्शन सीधे संक्रमित कीड़े के काटने से फैलता है। घास, झाड़ियों, खेतों या जंगलों में जाते समय फुल स्लीव वाले कपड़े पहननें, मच्छर या कीड़े भगाने वाले रिपेलेंट का उपयोग करना भी बहुत असरदार होता है। क्याेंकि अगस्त से फरवरी तक स्क्रब टाइफस कीड़ों के हमले के लिए मौसम अच्छा रहता है।



