साझा विरासत की राह पर भारत के मुस्लिम और हिंदू युवाओं की एकजुटता का नया अध्याय : देवेन्द्र प्रताप सिंह

भारत एक ऐसा देश है जहाँ विविधता केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन-शैली है। यहाँ सदियों से अलग-अलग धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं ने मिलकर ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब बनाई है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। यह धरती उन लोगों की है जिन्होंने अपने जीवन, परिश्रम, विचारों और त्याग से इस राष्ट्र को आकार दिया है,चाहे वह किसी भी मज़हब, जाति या समुदाय से जुड़े हों। आज हम ऐसे समय में हैं, जब बेरोजगारी, आर्थिक चुनौतियाँ, सामाजिक तनाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसे कई मुद्दे हमारे सामने हैं। लेकिन इन कठिनाइयों के बीच भी एक सच्चाई चमककर सामने आती है। भारत का युवा आज भी मेहनत, हुनर, शिक्षा और एकता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है।
मुस्लिम युवाओं में उभरता आत्मविश्वास और प्रगति का नया दौर
देश के अनेक हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के युवाओं ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। वह सिर्फ पारंपरिक रोजगारों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि टेक्निकल वर्क, छोटे-मोटे उद्यम, हस्तशिल्प, सर्विस सेक्टर, ऑटो-मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मरम्मत कार्य और अन्य रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह वही कार्य हैं जो समाज की रीढ़ होते हैं, जो अर्थव्यवस्था को गति देते हैं और रोजगार भी पैदा करते हैं। साथ ही अब मुस्लिम युवाओं में शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर रूझान बढ़ा है।
सिविल सर्विसेज, रेलवे, राज्य सेवाओं, बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों में उनकी सफलता यह साबित करती है कि सही दिशा और मेहनत से वे किसी से कम नहीं।
इस बदलाव के पीछे समुदाय के अंदर बढ़ती जागरूकता, परिवारों की प्रेरणा, और स्वयं युवाओं की प्रतिबद्धता है।
हिंदू-मुस्लिम सामाजिक संरचना भारत की ताकत
भारत की मिट्टी ने हमेशा साथ मिलकर चलने की सीख दी है।
यह वही देश है जहाँ मंदिर की घंटियों और मस्जिद की अज़ानें एक ही आसमान के नीचे गूँजती हैं। जहाँ लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी उस साझा संस्कृति से चलती है जिसमें धर्म नहीं, इंसानियत सबसे बड़ा मूल्य है।
आज जब समाज में कहीं-कहीं नफरत, भ्रम या अविश्वास का वातावरण बनाया जाता है, तब यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी सदियों पुरानी साझा विरासत को याद रखें। वसुधैव कुटुंबकम्,गंगा-जमुनी तहज़ीब, साझा संस्कृतियाँ, एकजुट भारतीयता। दुनिया के कई देशों के लिए यह दुर्लभ है, लेकिन भारत की पहचान ही यही है।
धर्म,नैतिकता और शांति का मार्ग, न कि विभाजन का
धर्म का मूल उद्देश्य मनुष्य को श्रेष्ठ बनाना है, उसे सत्य, प्रेम, करुणा और नैतिकता के रास्ते पर चलाना है। जब धर्म का उपयोग किसी समुदाय के खिलाफ नफरत या दुश्मनी फैलाने के लिए किया जाता है, तब वह धर्म नहीं बल्कि उसकी आड़ में छिपी राजनीति बन जाती है।
हमने इतिहास से सीखा है कि देश तब मजबूत हुआ जब लोग एक साथ खड़े हुए, और कमजोर तब पड़ा जब समाज बँट गया। इसलिए चाहे हिंदू हो या मुसलमान, सिख हो या इसाई हर एक भारतीय का धर्म पहले मानवता होना चाहिए।
युवाओं की भूमिका विकसित भारत की नींव
यदि भारत को सच्चे मायने में विकसित राष्ट्र बनना है,
तो युवाओं को शिक्षा,रोजगार,कौशल,पारदर्शिता और समान अवसर
की आवश्यकता है।
नफरत, हिंसा, झूठ, भ्रम, या धर्म-आधारित टकराव देश को कभी आगे नहीं बढ़ा सकते। देश आगे बढ़ेगा तभी, जब युवा
मेहनत, उद्यम, तकनीक, नवाचार, ईमानदारी और भाईचारे को अपनाएँगे। आज भारत का युवा समझ चुका है कि उसका भविष्य किसी नारे, किसी झूठी कहानी या किसी राजनीतिक बहस में नहीं, बल्कि अपने परिश्रम, हुनर और सहयोग में है।
यही है भारत की राह मिलकर, साथ चलकर
हमारा देश तब खूबसूरत लगता है जब एक मुस्लिम लड़का किसी हिंदू परिवार की दुकान पर काम करता है और उसे परिवार जैसा स्नेह मिलता है। एक हिंदू भाई को त्यौहार पर उसका मुस्लिम साथी खुशियों में शामिल करता है। एक कॉलेज में कंधे से कंधा मिलाकर दोनों समुदायों के छात्र पढ़ते हैं, सपने देखते हैं और सफल होते हैं। एक मोहल्ले में ईद का सेवई भी साझा होती है और दिवाली की मिठाई भी। यही भारत है जहाँ लोग मिलकर आगे बढ़ते हैं, और परंपरा साथ देती है, दीवारें नहीं खड़ी करती।
एक बेहतर, विकसित और न्यायपूर्ण भारत की दिशा में
यदि देश को आगे बढ़ना है तो उसे सच्चाई, पारदर्शिता, संवैधानिक मूल्यों,न्याय, समानता और मानवता के मार्ग पर चलना ही होगा।
सरकारें बदलती रहती हैं, नेता आते-जाते रहते हैं लेकिन देश जनता से चलता है, जनता की एकता से चलता है।
जब हम सब भारतीय एक साथ, एक दिशा में, एक लक्ष्य के लिए काम करेंगे तभी एक नया, विकसित, मजबूत और शांति-पूर्ण भारत बनेगा।
भारत की आत्मा उसकी विविधता है। भारतीयता का सार उसका भाईचारा है, और भारत की असली शक्ति उसके मेहनती, ईमानदार और सपने देखने वाले युवा हैं।
हम सब मिलकर धर्म, जाति, भाषा या समुदाय से ऊपर उठकर एक ऐसा देश बना सकते हैं जहाँ नफरत की जगह मोहब्बत की हो,अंधकार की जगह ज्ञान की हो,और विभाजन की जगह एकता की हो।
यही वह भारत है जिसका सपना आपने शब्दों में उकेरा और इसी भावना को मैंने अपनी ओर से स्वर देने का प्रयास किया है।
लेखक काँग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं



