कोलकाता टेस्ट हार के बाद रणनीति पर सवाल, गांगुली ने गंभीर का किया बचाव
कोलकाता टेस्ट की करारी हार ने भारतीय क्रिकेट में नेतृत्व और दिशा को लेकर नई बहस छेड़ दी है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में महज ढाई दिन में मिली हार ने जहाँ टीम की तैयारी पर सवाल उठाए, वहीं यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब घरेलू परिस्थितियों में भी उतना अजेय नहीं रहा जितना कभी हुआ करता था।
सबसे पहले निशाने पर आई ईडन गार्डन्स की पिच, जिसकी गुणवत्ता को लेकर आलोचना तेज हो गई। हालांकि मुख्य कोच गौतम गंभीर ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार करते हुए कहा कि पिच वैसी ही थी जैसी टीम मैनेजमेंट ने चाही थी।
लेकिन गंभीर के कार्यकाल में भारत को घर में पिछले छह टेस्ट में चार हार झेलनी पड़ी है—जो अपने आप में सवाल खड़े करती है कि टीम की योजनाओं में आखिर कमी कहाँ है। गंभीर की आलोचना बढ़ती देख पूर्व कप्तान और CAB अध्यक्ष सौरव गांगुली उनके समर्थन में सामने आए।

गांगुली ने साफ कहा कि गंभीर को हटाने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि इंग्लैंड में अच्छी बैटिंग पिचों पर राहुल द्रविड़–गंभीर की संयुक्त सोच ने शानदार नतीजे दिए थे। उनके मुताबिक, टीम भारत में भी उसी स्तर का प्रदर्शन करने में सक्षम है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि गांगुली भी यह मानने से नहीं हिचके कि पिच उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
उन्होंने स्वीकार किया कि टॉप और मिडिल ऑर्डर को बेहतर क्रिकेटिंग सरफेस की जरूरत है और भारत को ईडन जैसी कठिन विकेट्स पर घरेलू क्रिकेट को निर्भर नहीं करना चाहिए। पिच को लेकर किसी भी तरह की CAB की भूमिका से गांगुली ने साफ इनकार किया।
उन्होंने बताया कि पिच का पूरा नियंत्रण टेस्ट से चार दिन पहले ही बीसीसीआई के क्यूरेटरों ने संभाल लिया था, और स्थानीय क्यूरेटर केवल सहयोग भर दे रहे थे। इस बीच कोलकाता टेस्ट एक शर्मनाक आंकड़ा भी छोड़ गया—भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि टेस्ट की चारों पारियों में कोई भी टीम 200 तक नहीं पहुँची।
चौथी पारी में 124 जैसे मामूली लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 93 पर सिमट गई, जबकि कप्तान शुभमन गिल चोट के कारण बैटिंग के लिए उतर भी नहीं पाए।
कमजोर पिच, अस्थिर बल्लेबाज़ी, और नेतृत्व पर बढ़ता दबाव—इन तीन मोर्चों ने यह संकेत दे दिया है कि भारतीय टीम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुकी है जहाँ घरेलू सीरीज़ भी चुनौती बनने लगी है। आने वाले हफ़्तों में यह देखा जाएगा कि टीम इन सवालों के बीच खुद को कैसे संभालती है और कोच–कप्तान की समझदारी भारतीय क्रिकेट को किस दिशा में ले जाती है।



