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पीकेएल 12 : हर रेड में रोमांच, हर मैच में जंग -अब तक का सबसे यादगार सीज़न

दिल्ली : प्रो कबड्डी लीग का सीज़न 12 अब तक का सबसे रोमांचक और कड़ा सीज़न साबित हुआ। हर मैच में कांटे की टक्कर, आख़िरी रेड तक सस्पेंस और कई ज़बरदस्त कमबैक देखने को मिले। इस सीज़न ने कबड्डी में नई रणनीतिक समझ और शारीरिक ताकत का स्तर दिखाया।

इस चुनौतीपूर्ण माहौल में दबंग दिल्ली के.सी. ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ख़िताब अपने नाम किया। थ्यागराज इंडोर स्टेडियम में हुए फाइनल में उन्होंने पुनेरी पलटन को 31–28 से हराकर अपना दूसरा पीकेएल खिताब जीता। साथ ही, यू मुम्बा (सीज़न 2) के बाद यह पहली टीम बनी जिसने अपने घरेलू मैदान पर ट्रॉफी उठाई।

पूरे लीग में प्लेऑफ स्थानों के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। पटना पाइरेट्स ने आख़िरी दिन 12वें स्थान से छलांग लगाकर 7वां स्थान हासिल किया।

बेंगलुरु बुल्स ने शुरुआती तीन हारों के बाद वापसी करते हुए तीसरा स्थान पाया। वहीं तेलुगू टाइटन्स ने सीज़न 4 के बाद पहली बार प्लेऑफ में जगह बनाई।

सीज़न 12: हर अंक था अहम

सीज़न 12 में 117 में से 53 मैच (लगभग 45%) पाँच अंकों या उससे कम के अंतर से तय हुए। 14 मैच टाई या आख़िरी रेड तक पहुंचे जिससे यह अब तक का सबसे कड़ा सीज़न बना।

इस बार 20 से अधिक बार खिलाड़ियों ने एक मैच में 20+ रेड पॉइंट्स बनाए जो किसी भी सीज़न का रिकॉर्ड है। 9 टीमों ने लीग चरण में टॉप-4 टीमों को हराया।

10 या उससे ज़्यादा अंकों के कमबैक आठ बार हुए जिसमें पटना पाइरेट्स ने दबंग दिल्ली के खिलाफ 12 अंकों का उलटफेर किया (मैच 43)। पीकेएल इतिहास की पहली गोल्डन रेड भी इसी सीज़न में हुई दबंग दिल्ली बनाम पुनेरी पलटन (मैच 14)।

शानदार प्रदर्शन और रिकॉर्ड ब्रेकर

अयान लोचाब (पटना पाइरेट्स) – 316 रेड पॉइंट्स के साथ टॉप रेडर बने; पीकेएल इतिहास में केवल पाँचवें खिलाड़ी जिन्होंने 300+ रेड पॉइंट्स का आंकड़ा पार किया।

देवांक – सबसे तेज़ 500 करियर रेड पॉइंट्स (43 मैच) और 200 पॉइंट्स का आंकड़ा पार करने वाले खिलाड़ी।

मनप्रीत सिंह – पीकेएल इतिहास में 100 जीत दर्ज करने वाले पहले कोच बने।

फज़ल अत्राचली (दबंग दिल्ली) – 550 करियर टैकल पॉइंट्स पूरे कर MVP बने।

अलीरेज़ा मिर्ज़ाइयन (ईरान) – 191 रेड पॉइंट्स, किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा सबसे ज़्यादा।

अली समदी (ईरान) – पुनेरी के खिलाफ 22 पॉइंट्स के साथ सर्वश्रेष्ठ विदेशी प्रदर्शन।

माइलस्टोन और यादगार पल

तेलुगू टाइटन्स – पहली बार लगातार 5 जीत।

हरियाणा स्टीलर्स – पहली बार लगातार 5 हार। सबसे तेज़ ऑल आउट – 2 मिनट 53 सेकंड (पुनेरी पलटन बनाम जयपुर, मैच 86)।

सबसे बड़ी जीत – पटना पाइरेट्स ने दबंग दिल्ली को 35 अंकों से हराया (मैच 105)।

बेंगलुरु बुल्स और दबंग दिल्ली – दोनों ने अपनी 100वीं जीत दर्ज की। विदेशी खिलाड़ियों के 100+ पॉइंट्स वाले प्रदर्शन पिछले सीज़न की तुलना में दोगुने हुए — जो कबड्डी की वैश्विक लोकप्रियता दिखाता है।

दबंग दिल्ली: अनुभव और धैर्य का संगम

अशु मलिक और फज़ल अत्राचली की अगुवाई में दबंग दिल्ली की जीत टीम के धैर्य और सामूहिक विश्वास की मिसाल रही। अशु के चोट के कारण कुछ मैचों से बाहर रहने पर भी टीम ने गहराई और लचीलापन दिखाया।

रेडिंग और डिफेंस यूनिट दोनों ने मिलकर अहम मौकों पर प्रदर्शन किया। हेड कोच जोगिंदर नरवाल ने खिलाड़ी (सीज़न 8) और कोच (सीज़न 12) दोनों रूप में खिताब जीतने का गौरव पाया ऐसा करने वाले दूसरे व्यक्ति बने।

कप्तान अशु मलिक ने कहा: “यह बहुत कठिन सीज़न था। हर मैच में हमें अपनी सीमाओं तक जाना पड़ा। जब मैं नहीं खेल रहा था, टीम ने ज़िम्मेदारी उठाई और शानदार खेल दिखाया। अपने होम फैंस के सामने ट्रॉफी उठाना बहुत खास अहसास है। यह जीत पूरी टीम और हमारे सभी समर्थकों की है।”

पुनेरी पलटन के कप्तान अस्लम इनामदार ने कहा: “यह अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण सीज़न था। हर मैच एक जंग जैसा लगा। हमने आख़िरी पल तक लड़ाई की, फाइनल में भी। नतीजा हमारे पक्ष में नहीं गया, लेकिन टीम ने शानदार एकता दिखाई। हम इससे सीखकर और मज़बूती से लौटेंगे। हमारे फैंस का बहुत शुक्रिया आपका साथ ही हमारी ताकत है।”

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