क्रिकेट में हुए बड़े बदलाव, इन नए नियमों से बदलेगा खेल का अंदाज
आईसीसी ने मेंस क्रिकेट में कुछ बदलाव नियमों में किए थे। कुछ नियम 17 जून से शुरू नई डब्ल्यूटीसी साइकल में लागू हुए हैं। 2 जुलाई से कुछ और नियम लागू होंगे, जिनमें टेस्ट में स्टॉप क्लॉक, सलाइवा के बाद गेंद चेंज नहीं होगी। डीआरएस से जुड़े कुछ नियम बदलने वाले हैं।

व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में स्टॉप क्लॉक शुरू हुए एक साल का समय हो चुका है। आईसीसी ने इस नियम को टेस्ट क्रिकेट में शुरू करने का फैसला किया है, क्योंकि इस फॉर्मेट में स्लो ओवर रेट लंबे समय से एक समस्या है।
नियम के अनुसार, फील्डिंग करने वाली टीम को पिछले ओवर के खत्म होने के एक मिनट के भीतर ओवर शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसा ना करने पर उन्हें अंपायरों से दो वॉर्निंग मिलेंगी। तीसरी बार मे अंपायर गेंदबाजी करने वाली टीम पर पांच रनों की पेनल्टी लगाएंगे।
80 ओवर के प्रत्येक ब्लॉक के बाद वॉर्निंग फिर से शुरू होगी। ओवर की आखिरी गेंद के प्ले से बाहर जाते ही स्कीन पर उल्टी गिनती 60,59,58…3,2,1 शुरू होगी। नियम 2025-27 डब्ल्यूटीसी चक्र की शुरुआत से लागू हो चुका है।
गेंद पर लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध जारी है, लेकिन आईसीसी ने कहा है कि अब अंपायरों के लिए गेंद पर लार पाए जाने पर गेंद को बदलना अनिवार्य नहीं है। यह बदलाव ऐसी स्थिति से बचने के लिए हुआ है, जहां गेंद को बदलने की कोशिश करने वाली टीमें जानबूझकर उस पर लार लगाती हैं।
आगे चलकर, अंपायर केवल तभी गेंद को बदलेंगे, जब उसकी कंडीशन में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ हो- जैसे कि अगर वह बहुत गीली दिखाई दे या उसमें ज्यादा चमक हो। इसे अंपायरों के विवेक पर छोड़ा गया है। साथ ही, अगर अंपायरों के यह कहने के बाद लार के इस्तेमाल से गेंद की स्थिति में बदलाव नहीं आया है, गेंद में कुछ बदलाव होने लगे, तो उसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि, बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच रन मिलेंगे।
उदाहरण के तौर पर – एक बल्लेबाज को कैच आउट करार दिया गया है और वह रिव्यू के लिए कहता है। अल्ट्राएज दिखाता है कि गेंद बल्ले से नहीं लगी और सीधी पैड से टकराई है। इस केस में बल्लेबाज कैच आउट नहीं है तो टीवी अंपायर अब तक आउट होने के दूसरे तरीके की जांच करता है और बॉल-ट्रैकिंग से यह सत्यापित करने की कोशिश करता है कि बल्लेबाज एलबीडब्ल्यू है या नहीं।
अब तक इस तरह के रिव्यू के दौरान प्रोटोकॉल यह था कि एक बार यह निर्धारित होने के बाद कि बल्लेबाज कैच आउट नहीं है तो आउट होने के दूसरे तरीके एलबीडब्ल्यू के लिए डिफॉल्ट निर्णय नॉट आउट होता था।
इसका मतलब है कि अगर बॉल-ट्रैकिंग से अंपायर्स कॉल आता है, तो बल्लेबाज नॉट आउट ही रहेगा, लेकिन अपडेट नियमों के तहत जब एलबीडब्ल्यू के लिए बॉल-ट्रैकिंग ग्राफिक प्रदर्शित किया जाता है, तो उस पर “ऑरिजनल डिसिजन” लेबल “आउट” लिखा होगा और अगर समीक्षा में अंपायर का फैसला आता है, तो बल्लेबाज आउट हो जाएगा।
आईसीसी ने अंपायर और खिलाड़ी दोनों के रेफरल को शामिल करते हुए कंबाइड रिव्यू के दौरान निर्णय प्रक्रिया को संशोधित करने का निर्णय लिया है। आईसीसी ने फैसला किया है कि एक के बाद एक यानी क्रॉनोलॉजिकल ऑर्डर में रिव्यू होगा। अब तक, संयुक्त समीक्षा के दौरान टीवी अंपायर खिलाड़ी की समीक्षा पर जाने से पहले अंपायर रिव्यू लेता था।
संशोधित आईसीसी खेल शर्तों में नियम 3.9 कहता है, “यदि पहली घटना से यह निष्कर्ष निकलता है कि बल्लेबाज आउट हुआ है, तो उस समय गेंद को डेड माना जाएगा, जिससे दूसरी घटना की जांच अनावश्यक हो जाएगी।” यदि एलबीडब्लू के साथ-साथ रन आउट अपील होती है, तो टीवी अंपायर अब पहले लेग-बिफोर का रिव्यू लेगा, क्योंकि वह पहले हुई थी।
यदि बल्लेबाज आउट हो जाता है, तो गेंद को डेड घोषित किया जाएगा। ऐसा कोई मामला है, जिसमें दोनों ऑन-फील्ड अंपायर इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि कैच क्लीन पकड़ा गया है या नहीं, लेकिन जब वे विचार-विमर्श कर रहे होते हैं, तो टीवी अंपायर उन्हें बताता है कि यह नो-बॉल थी।
प्लेइंग कंडीशन्स के पिछले संस्करण में, नो-बॉल का संकेत मिलने के बाद टीवी अंपायर को कैच की निष्पक्षता पर निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं होती थी, लेकिन अपडेट प्लेइंग कंडीशन्स में, तीसरा अंपायर अब कैच की समीक्षा करेगा और अगर यह एक फेयर कैच है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को नो-बॉल के लिए केवल एक अतिरिक्त रन मिलेगा।
हालांकि, अगर कैच फेयर नहीं है, तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को बल्लेबाजों द्वारा लिए गए रन भी मिलेंगे। अगर कोई बल्लेबाज जानबूझकर शॉर्ट रन लेते हुए पकड़ा जाता था, तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच रन की पेनल्टी भुगतनी पड़ती थी, लेकिन अपडेट नियमों में अगर कोई बल्लेबाज अतिरिक्त रन चुराने के लिए जानबूझकर मैदान पर नहीं जाता है, तो अंपायर फील्डिंग टीम से पूछेंगे कि वे किस बल्लेबाज को स्ट्राइक पर रखना चाहते हैं। पांच रन की पेनल्टी सजा का हिस्सा बनी रहेगी।
नियम 18.5.1 के अनुसार, “जानबूझकर लिया गया शॉर्ट रन बल्लेबाजों द्वारा एक से अधिक रन बनाने का प्रयास है, कम से कम एक बल्लेबाज जानबूझकर एक छोर पर दूऱ तक ना जाए। बल्लेबाज रन ना लेने का विकल्प चुन सकते हैं, अंपायर को लगे कि संबंधित बल्लेबाज का अंपायरों को धोखा देने या ऐसा रन बनाने का इरादा नहीं था, जिसमें उन्होंने क्रीज को नहीं बदला।”
गंभीर बाहरी चोट से पीड़ित खिलाड़ी के नुकसान की भरपाई के लिए आईसीसी ने बोर्ड से अपने घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक पूर्णकालिक रिप्लेसमेंट प्लेयर को मैदान में उतारने का परीक्षण करने के लिए कहा है, जो आकर टीम के प्रतिभागी की भूमिका निभा सकता है।
रिप्लेसमेंट प्लेयर को एक जैसा होना होगा, जैसा कि एक कनकशन सब के मामले में होता है। चोट स्पष्ट होनी चाहिए और मैच अधिकारियों को दिखाई देनी चाहिए, तभी वे फुलटाइम रिप्लेसमेंट की मंजूरी देंगे। हैमस्ट्रिंग खिंचाव या छोटी-मोटी चोटों से खिलाड़ियों पर यह लागू नहीं होगा। नियम परीक्षण के आधार पर होगा और इसे पूरी तरह से सदस्य देशों पर निर्भर करता है कि वे अपने घरेलू प्रथम श्रेणी सर्किट में इसे लागू करें।



