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President Rule In Manipur: बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में लागू हुआ राष्ट्रपति शासन, जानिए इसके पीछे की वजहें

बीएस राय : मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। इससे पहले 9 फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा राज्य में करीब दो साल से जारी जातीय हिंसा के बाद दिया था। वे अपने शासन के दौरान उठे विभिन्न मुद्दों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे थे। उनके इस्तीफे के बाद से ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की अटकलें तेज हो गई थीं।

भारतीय संविधान के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा की दो बैठकों के बीच अधिकतम 6 महीने का अंतराल होना चाहिए। मणिपुर विधानसभा के मामले में यह अवधि बुधवार को समाप्त हो गई और इस दौरान किसी भी पार्टी या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया।

मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू होना था, लेकिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। इस बीच कांग्रेस की ओर से बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही थी। हालांकि अब सभी राजनीतिक अटकलों पर विराम लग गया है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य के शासन में व्यापक परिवर्तन होते हैं। राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के नियंत्रण में आ जाता है, जो अपने प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल को प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपता है। इसके तहत राज्यपाल केंद्र सरकार के निर्देशानुसार प्रशासनिक कार्य करता है।

सामान्य तौर पर राज्य में कानून बनाने की शक्ति विधानसभा के पास होती है, लेकिन राष्ट्रपति शासन के दौरान यह शक्ति संसद के पास चली जाती है। अगर संसद सत्र में नहीं है, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जाता है, लेकिन संसद की अनुमति से इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

मणिपुर में लंबे समय से चल रही जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। इससे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में स्थिरता लाने की कोशिश की जाएगी। अब राज्य की सभी प्रशासनिक शक्तियाँ केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेंगी, जो भविष्य की परिस्थितियों का फैसला करेगी।

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