Delhi Politics: दिल्ली में आप-बीजेपी के बीच सियासी घमासान के पीछे क्या हो रही सियासत, उपराज्यपाल की क्यों हुई एंट्री

बीएस राय: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान संपन्न हो गया और अब 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। लेकिन इससे पहले ही आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनके उम्मीदवारों को 15-15 करोड़ रुपये का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की गई।
इस मामले में अब एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने केजरीवाल से पूछताछ करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं मिली। इसके बाद एसीबी ने केजरीवाल को नोटिस भेजकर 5 सवालों के जवाब मांगे हैं।
एसीबी की टीम जब अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंची तो उन्हें घर के अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली। इसके बाद टीम ने आधिकारिक तौर पर उन्हें नोटिस भेजा। एसीबी ने मामले की जांच के लिए तीन टीमें बनाई हैं, जिनमें से एक आप नेता संजय सिंह से पूछताछ कर रही है।
आम आदमी पार्टी की लीगल टीम ने कहा कि उन्हें नोटिस मिल गया है और वे इसका कानूनी जवाब देंगे। एसीबी ने केजरीवाल से आज ही जवाब देने को कहा है। एसीबी ने केजरीवाल से ये 5 सवाल पूछेः
आम आदमी पार्टी के जिन 16 उम्मीदवारों को कथित तौर पर रिश्वत की पेशकश की गई, उनका ब्योरा दिया जाए। रिश्वत की पेशकश करने वाले व्यक्तियों और फोन नंबरों का ब्योरा दिया जाए।
मीडिया और सोशल मीडिया पर रिश्वत के आरोपों से जुड़े दावों के समर्थन में सबूत पेश किए जाएं। यह बताया जाए कि सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए, जिससे दिल्ली के नागरिकों में अशांति और दहशत की स्थिति पैदा हो सकती है।
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उनके उम्मीदवारों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एसीबी को मामले की जांच करने का आदेश दिया।
इसके बाद एसीबी की टीम अरविंद केजरीवाल के आवास पर पूछताछ के लिए पहुंची। आगे की राह इस विवाद ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। आप और भाजपा के बीच पहले से ही तीखी बयानबाजी चल रही थी, लेकिन इस नए घटनाक्रम ने राजनीतिक सरगर्मियों को और तेज कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद केजरीवाल एसीबी के नोटिस का क्या जवाब देते हैं और यह मामला चुनाव नतीजों पर कितना असर डालता है।