Trending

अमित शाह और पवार जुगलबाजी से साख गिरी !

के. विक्रम राव

मुंबई मीडिया आजकल अमित शाह बनाम शरद पवार की आपसी कीचड़बाजी को चटकारे लेकर अखबारों में उछाल रही है। दोनों भारत के शीर्ष राजपदों को सुशोभित करते रहे हैं। अपनी प्रतिभा से चमकाया भी है। एक गृहमंत्री है। दूसरा रक्षामंत्री था। इस वाकयुद्ध का शुभारंभ शिरडी धर्मस्थल से गुजरात के साठ-वर्षीय अमिताभ अनिलचंद्र शाह उर्फ अमित शाह ने किया। जुगलबंदी में महाराष्ट्र के चार दफा मुख्यमंत्री और भारत के रक्षामंत्री रहे चौरासी साल के शरदचंद्र गोविंदराव पवार शरीक हो गए।
अमित शाह के शब्दों में शरद पवार विश्वासघात की राजनीति के जनक हैं। उनके विचारों को विस्तार देते मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा : “शिर्डी में शाह ने कहा था कि शरद पवार ने 1978 में विश्वासघात और छल-कपट की राजनीति की। विधानसभा के 2019 चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे ने भी बीजेपी को धोखा देने का काम किया था। यही वजह है कि 2024 के विधान सभा चुनाव में महाराष्ट्र के लोगों ने बीजेपी को भारी जीत दिलाने के बाद पवार और उद्धव जैसे नेताओं को घर बैठा दिया था। राज्य की जनता ने पिछले साल के चुनाव में वंशवाद और विश्वासघात की राजनीति को खारिज करके पवार और ठाकरे को उनकी जगह दिखा दी।”

इस पर शरद पवार की प्रतिक्रिया बड़ी तिरछी और तिखी रही। वे बोले : “देश में कई गृहमंत्री रहे, लेकिन किसी को तड़ीपार नहीं किया गया था। अमित शाह ऐसे पहले गृहमंत्री हैं, जिन्हें गुजरात से तड़ीपार किया गया था। हालांकि मंगलवार का दिन मकर संक्रांति का था। इस मौके पर गुड़ तिल खा कर मीठी बातें कहने की परिपाटी है, लेकिन पवार ने शाह को जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के अलावा पंडित गोविंद वल्लभ पंत, यशवंतराव चव्हाण और शंकरराव चव्हाण समेत कई अन्य नेता भी देश के गृहमंत्री बने। इन सभी नेताओं ने इस पद की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया। इन नेताओं में से किसी को उनके राज्य से तड़ीपार नहीं किया गया। लेकिन जिस तरह से वर्तमान में गृहमंत्री अमित शाह बयान दे रहे हैं, उन्हें यह शोभा नहीं देता है। शाह को गृहमंत्री पद की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।” उल्लेखनीय है कि अमित शाह को 2010 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में दो साल के लिए राज्य से तड़ीपार कर दिया गया था। बाद में उन्हें 2014 में इस मामले में बरी कर दिया गया था।

शरद पवार ने अमित शाह के आरोप कि वे अवसरवादी और सत्तालोलुप रहे का खंडन किया। पवार ने शाह को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें बिना जानकारी के बयान नहीं देना चाहिए। मैं 1978 में जब महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री था, उस समय जनसंघ के नेता उत्तमराव पाटिल, हशु आडवाणी, प्रमिलाताई जैसे सिद्धहस्त लोग मेरे मंत्रिमंडल में थे। जनसंघ पृष्ठभूमि वाले लोगों ने मेरे साथ काम किया है। वसंतराव भागवत और प्रमोद महाजन उन लोगों में से थे जिन्होंने टीम में रहकर हमारा समर्थन किया। देश में अलग-अलग पार्टियां सत्ता में रहीं। लेकिन राजनीतिक दल के नेताओं के बीच सामंजस्य बना रहा था।

इंदिरा गांधी की 1977 में हार के बाद शरद पवार ने अपनी कांग्रेस पार्टी तोड़कर जनसंघ के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। वे मुख्यमंत्री बने थे।

Related Articles

Back to top button