साध्वी हर्षा रिछारिया को लोगों ने कहा पाखंडी, उनकी इस हरकत को देख शंकराचार्य भी नहीं बैठे चुप

महाकुंभ में रथ पर सवार हर्षा रिछारिया का साध्वी रूप वाला वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर बहुत ट्रोल किया गया. शंकराचार्य स्वामी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए और बड़ी बात कह दी.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025)का शुभारंभ 13 जनवरी से हुआ.इस दौरान एक महिला खूबसूरत साध्वी के नाम सो सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. उनकी वीडियोज सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं, लोग इन्हें प्रयागराज महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी बता रहे हैं. 

कभी एक्ट्रेस थीं ये साध्वी

बता दें कि गले में रुद्राक्ष और गेंदे के फूलों की माला और माथे पर तिलक लगाए साध्वी के वेश में संगम नगरी में घूम रहीं इस महिला का नाम हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya)हैं. हर्षा कभी एक्टिंग और एंकरिंग किया करती थीं. फिर सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बनीं. अब महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पहुंची हैं, जहां वह अपनी खूबसूरती कि वजह से चर्चा में छाई हुई हैं. हालांकि कुछ लोग उन्हें साध्वी के वेश में मेकअप करने को लेकर ट्रोल करने लगे. लोगों का कहना है कि साध्वी कभी मेकअप नहीं करती हैं. जबकि वो इस दौरान पूरे मेकअप में नजर आ रही हैं. 

लोगों ने कहा पाखंडी

इसी बीच बीते दिनों महाकुंभ से हर्षा का शाही रथ पर सवारी करते हुए एक वीडियो सामने आया, जिसे देखकर लोगों ने उन्हें फिर से ट्रोल करना शुरू कर दिया. दरअसल, हर्षा के साध्वी धार्मिक अंदाज के बीच उनकी कुछ पुरानी ग्लैमरस तस्वीरें सामने आ गईं. इन तस्वीरों में हर्षा हद से ज्यादा ग्लैमरस दिखीं. उनकी एक-एक फोटो में उनकी कातिल अदाएं देखकर लोगों का माथा घूम गया. बस फिर क्या हर्षा कि इन तस्वीरों को देख लोगों ने उन्हें पाखंडी कहना शुरू कर दिया. वहीं कुछ ने उनकी आस्था पर भी सवाल उठाया है.

हर्षा ने दी ये सफाई

हालांकि ट्रोलिंग के बाद हर्षा ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि वह कोई साध्वी नहीं हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने अब तक कोई धार्मिक संस्कार या दीक्षा नहीं ली है, जो साध्वी बनने के लिए जरूरी है. हालांकि, उन्होंने गुरु दीक्षा और मंत्र दीक्षा ली है और सनातन धर्म के प्रति खुद को समर्पित कर दिया है.

शंकराचार्य भी हुए इस हरकत पर गुस्सा

ऐसे में हर्षा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर खलबली मच गई. उनके इस बयान के सामने आने के बाद साध्वी शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उनके शाही रथ पर बिठाए जाने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना पूरी तरह गलत है. यह विकृत मानसिकता का नतीजा है. इसके साथ ही  शंकराचार्य ने ये भी कहा कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देख जाना चाहिए था.

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