Manipur Violence News: एनपीपी के समर्थन वापस लेने से संकट में बीरेन सरकार! क्या है नंबर गेम?

बीएस राय: मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति के बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि, विधानसभा में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पास बहुमत है। जातीय हिंसा और हालिया हमलों के कारण राज्य में स्थिति खराब हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
मणिपुर इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है। जातीय हिंसा से प्रभावित इस राज्य में एक और बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भाजपा के नेतृत्व वाली एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इस फैसले ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एनपीपी ने आरोप लगाया है कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था बहाल करने और हिंसा रोकने में बीरेन सरकार पूरी तरह विफल रही है। पार्टी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। एनपीपी के मुताबिक हिंसा की वजह से राज्य में हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और सरकार इसे रोकने में विफल रही है।
एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद भी एनडीए के पास 53 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत के लिए काफी है। हालांकि, यह घटना सरकार और राजनीतिक माहौल की विश्वसनीयता को चुनौती दे रही है। शनिवार रात को उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दी, जिससे राज्य में तनाव बढ़ गया। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने मंत्रियों और विधायकों के घरों को निशाना बनाया और आगजनी और तोड़फोड़ की।
सात जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है और गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की समीक्षा की और शांति बहाल करने के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपनी सभी निर्धारित रैलियां रद्द कर दीं और दिल्ली में अधिकारियों के साथ आपात बैठक की। गृह मंत्रालय ने मणिपुर में शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद विपक्ष सरकार को और घेरने की कोशिश करेगा। जातीय हिंसा के बीच राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। शांति बहाल करने की चुनौतीः सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ठोस कदम उठाने होंगे। हिंसा को रोकने और राहत कार्य में तेजी लाने की जरूरत है। सरकार पर दबावः बीरेन सरकार को अपनी साख बचाने के लिए ठोस नतीजे देने होंगे।
मणिपुर में राजनीतिक और सामाजिक संकट ने राज्य को मुश्किल हालात में डाल दिया है। एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेने से सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ा है, लेकिन फिलहाल उसकी स्थिति सुरक्षित है। हालांकि जातीय हिंसा और बिगड़ते हालात को काबू में करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करना होगा। हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिरता और शांति बहाल करने के लिए मणिपुर के लिए नेतृत्व और मजबूत कार्रवाई का समय आ गया है।
क्या मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में है?
हालांकि, एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेने से बीरेन सिंह सरकार की स्थिरता पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
मणिपुर विधानसभा में स्थिति:
कुल सीटें: 60
भाजपा: 37 विधायक
एनडीए समर्थन: नगा पीपुल्स फ्रंट (5), जेडीयू (1), निर्दलीय (3)
विपक्ष: कांग्रेस (5), केपीए (2)
एनपीपी: 7 विधायक



