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आर्मेनिया ने रोकी तेजस लड़ाकू विमान खरीद पर बातचीत

राघवेंद्र प्रताप सिंह: आर्मेनिया पिछले कुछ महीने से भारत सरकार और तेजस को बनाने वाली कंपनी HAL के साथ 1.2 बिलियन डॉलर में 12 एयरक्राफ्ट खरीदने के बारे में बातचीत कर रहा था। अगर यह डील फाइनल होती तो यह तेजस का पहला एक्सपोर्ट ऑर्डर होता लेकिन दुबई एयरशो में तेजस लड़ाकू विमान की दुर्घटना के बाद आर्मेनिया ने घोषणा की है कि वह भारत से इस लड़ाकू विमान की खरीद पर बातचीत को रोक रहा है। इस दुर्घटना में तेजस के पायलट भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर नमांश सियाल का निधन हो गया। हालांकि, इससे इजरायल परेशान हो गया है। इजरायल को इस डील से करोड़ों डॉलर की कमाई होने की उम्मीद थी, हालांकि, अब इस डील के रुकने से उसकी कमाई पर ग्रहण लग गया है।

तेजस लड़ाकू विमान का डेवलपमेंट 1982 में शुरू हुआ था, हालांकि इसे फाइनल ऑपरेशन क्लियरेंस पाने में लगभग तीन दशक का समय लगा। तेजस प्रोजेक्ट भारत की दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदने वालों और एक्सपोर्ट करने वालों में से एक बनने की कोशिश का हिस्सा था।

तेजस लड़ाकू विमान को प्राथमिक रूप से भारतीय वायुसेना के सैकड़ों MiG-21 की जगह लेने के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि, अब तक भारतीय वायुसेना को सिर्फ 40 तेजस लड़ाकू विमान ही डिलीवर हो पाए हैं। तेजस एमके1ए नाम के एक अडवांस वर्जन का प्रोडक्शन अब शुरू हो गया है। इसमें विमान में कई सुधार किए गए हैं, जो इसे पश्चिमी देशों के लड़ाकू विमानों के समकक्ष खड़ा करने की क्षमता रखते हैं।

पश्चिम एशिया और यूरोप के काकेशस क्षेत्र में स्थित पहाड़ी देश आर्मेनिया के इधर कुछ वर्षों से भारत के साथ रक्षा संबंध लगातार मजबूत हो रहे थे। आर्मेनिया भारत से हथियार खरीदने वाला सबसे बड़ा देश भी बन चुका है। आर्मेनिया ने भारत से पिनाका मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम, आकाश एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम, हॉवित्जर, एंटी-टैंक रॉकेट और एंटी-ड्रोन उपकरण और गोला-बारूद की खरीद समय समय पर की । मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत तक आर्मेनिया ने भारत से कुल 600 मिलियन डॉलर के हथियार खरीदे हैं।

रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नई दिल्ली और आर्मेनिया की राजधानी येरेवन के बीच सैन्य सहयोग निरंतर बढ़ रहा है। पिछले चार वर्षों में आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा है। आर्मेनिया ने 2022 में पहले विदेशी खरीदार के तौर पर भारत को 720 मिलियन डॉलर में 15 आकाश मिसाइल प्रणालियों का ऑर्डर दिया था। आर्मेनिया को भारत में विकसित स्वदेशी रूप से विकसित आकाश-1एस वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली 2024 के अंत में भारतीय कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड से आपूर्ति की जानी है। यह आकाश-1एस प्रणाली लड़ाकू विमानों, निर्देशित मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों के खिलाफ विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान करती है।

आर्मेनिया पहले रूस पर था बहुत अधिक निर्भर :

दरअसल, आर्मेनिया पहले हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर था। आर्मेनिया ने रूस के जरिये 2011 से 2020 तक प्रमुख हथियारों का आयात 94 प्रतिशत तक किया था। इस अवधि के दौरान मास्को ने येरेवन को बख्तरबंद कार्मिक वाहक, वायु रक्षा प्रणाली, कई रॉकेट लांचर और टैंक की आपूर्ति की। इसके अतिरिक्त 2016 में रूस ने 300 किलोमीटर (186 मील) की अनुमानित सीमा के साथ इस्कैंडर शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति की। 2019 में मास्को ने आर्मेनिया को चार सुखोई-30 एसएम लड़ाकू विमान भी दिए, जिससे इसकी स्ट्राइक क्षमता काफी मजबूत हुई। अब भारत येरेवन को दक्षिण काकेशस में अपना रणनीतिक साझेदार बनाने के लिए आर्मेनिया की सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है।

आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक :

भारतीय वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिनाका मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और आकाश एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम की खरीद पर सौदे करने के बाद पूर्व सोवियत गणराज्य आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत तक भारत से आर्मेनिया द्वारा खरीदे गए हथियारों की कुल मात्रा 600 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। कई मिलियन डॉलर के रक्षा सौदों के तहत अर्मेनियाई सेना को भारत में निर्मित होवित्जर, एंटी-टैंक रॉकेट और एंटी-ड्रोन उपकरण की आपूर्ति की जानी है। दोनों देशों के बीच गहराते रिश्तों का असर तब दिखा, जब 2023 में येरेवन ने भारत के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली में अपने दूतावास में एक रक्षा अताशे को नियुक्त किया। यह निर्णय 2022 में आर्मेनिया से भारतीय हथियार निर्माताओं के साथ कई रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करने के बाद आया। कुल 245 मिलियन डॉलर के इन सौदों में भारतीय मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, एंटी-टैंक रॉकेट और गोला-बारूद का अधिग्रहण शामिल था। भारत में अर्मेनियाई रक्षा अताशे की मौजूदगी से येरेवन और नई दिल्ली को आधिकारिक और कूटनीतिक तरीके से सैन्य सहयोग करने की अनुमति मिलेगी।

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