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मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ लाए जाएंगे 6 बाघ, ट्रांसलोकेशन की तैयारी

सरिता त्रिपाठी: छत्तीसगढ़ के जंगल एक बार फिर बाघों की दहाड़ से गूंजने जा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि टाइगर्स को ट्रांसलोकेट करने का निर्णय मूर्तमान रूप लेने जा रहा है। प्रदेश के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास-तमोर पिंगला और उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (यूएसटीआर) में बाघों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश से कुल छह बाघों को लाने की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। टाइगर्स ट्रांसलोकेशन बाघ संरक्षण का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है। वन विभाग की टीम जल्द ही कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व रवाना होगी। दोनों राज्यों के वन विभागों और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की औपचारिक स्वीकृति के बाद प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व से एक नर और दो मादा बाघों को यूएसटीआर में शिफ्ट किया जाएगा। जबकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से तीन बाघिनों को तमोर पिंगला के विशाल वनों में छोड़ा जाएगा। जंगलों में शिकार एवं जल स्रोतों की उपलब्धता, घासभूमि विकास, सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वन क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने के साथ ही स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट तैनात की जाएगी, ताकि शिकारी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।

बाघों के नए वातावरण में सुरक्षित और सहज रूप से बसने को प्राथमिकता देते हुए विभाग ने दोनों रिजर्वों में कई प्रबंध सुनिश्चित किए हैं। बाघों को यहां छोड़े जाने से पहले उनके व्यवहार, गतिविधियों और मूवमेंट की 24 घंटे निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कॉलर आईडी लगाए जाएंगे, ताकि वास्तविक समय में लोकेशन ट्रैकिंग संभव हो सके।

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