लक्ष्य सेन की वापसी : ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतकर फिर दिखाया दम
पेरिस ओलंपिक में चौथे स्थान पर रुकने के बाद कुछ महीनों तक अपने छायादार दौर से जूझ रहे भारत के लक्ष्य सेन ने आखिरकार वह लय वापस पा ली जिसकी भारतीय बैडमिंटन को लंबे समय से तलाश थी।
रविवार को मेलबर्न में 4,75,000 डॉलर इनामी ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर 500 के पुरुष एकल फाइनल में जापान के युशी तनाका को मात देकर 24 वर्षीय लक्ष्य ने न केवल अपना सीजन का पहला खिताब जीता बल्कि यह भी साबित कर दिया कि उनका संघर्ष केवल उन्हें और मजबूत ही बना रहा था।
38 मिनट चले इस एकतरफा फाइनल में लक्ष्य ने 26 वर्षीय तनाका को 21-15, 21-11 से हराकर एक ऐसा प्रदर्शन किया जिसे उनके ‘क्लासिक कंट्रोल’ और ‘न्यू एज अटैक’ का मिश्रण कहा जा सकता है। मुकाबले के दौरान उन्होंने एक बार भी गेम नहीं गंवाया — कुछ महीनों पहले की अपनी अनिश्चित लय से यह बिल्कुल उलट तस्वीर थी।

लक्ष्य ने आखिरी बार 2024 में लखनऊ में सैयद मोदी इंटरनेशनल सुपर 300 जीता था और इस साल सितंबर में हांगकांग सुपर 500 में रनर-अप रहे थे। यह खिताब उनके अंतरराष्ट्रीय सर्किट में आत्मविश्वास की वापसी का प्रतीक बन गया है।
दिलचस्प बात यह है कि तनाका—जो इस वर्ष ऑर्लियंस मास्टर्स सुपर 300 जीतकर उभरे थे— के खिलाफ लक्ष्य ने जिस सहजता से दबदबा बनाया, उसने यह साफ कर दिया कि भारतीय शटलरों की नई पीढ़ी सिर्फ प्रतिभा से नहीं बल्कि मानसिक तैयारी से भी लैस है।
इस जीत के बाद लक्ष्य सेन इस सीजन में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर खिताब जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बने। उनसे पहले युवा आयुष शेट्टी ने अमेरिकी ओपन सुपर 300 में गोल्ड हासिल किया था।
इसी वर्ष सात्विक-चिराग की जोड़ी हांगकांग और चीन मास्टर्स के फाइनल तक पहुंची थी, जबकि किदाम्बी श्रीकांत भी मलेशिया मास्टर्स में उपविजेता रहे थे।
लगातार बड़े मंचों पर भारतीय खिलाड़ियों की मौजूदगी यह संकेत दे रही है कि भारतीय बैडमिंटन एक बार फिर उफान पर है — और इस लहर के अगले नेतृत्वकर्ता लक्ष्य सेन ही होंगे, यह जीत उसे और पुख़्ता कर देती है।



