Delhi Election 2025: जानिए दिल्ली में AAP की हार के पीछे की बड़ी वजहें

बीएस राय : दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद शुरुआती समीक्षा में यह साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी (आप) की हार के पीछे कई वजहें रहीं। लगातार 10 साल तक दिल्ली की सत्ता में रहने के बाद आप को इस चुनाव में सिर्फ 22 सीटों पर जीत मिली, जबकि पार्टी के प्रमुख नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव हार गए। आइए जानते हैं उन तीन बड़ी वजहों के बारे में जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।
केंद्रीय बजट से मध्यम वर्ग को मिली राहत दिल्ली में मतदान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने आम बजट पेश किया, जिसमें 12 लाख रुपये की आय पर करदाताओं को जीरो टैक्स देने की घोषणा की गई। इस फैसले से मध्यम वर्ग का वोटर काफी प्रभावित हुआ और आम आदमी पार्टी की बजाय भाजपा की तरफ मुड़ गया।
आप इस फैसले के असर का सही आकलन नहीं कर पाई और यह चुनावी समीकरण उसके खिलाफ चला गया। 2. झुग्गी-झोपड़ी के वोटरों का समर्थन कम होना पिछले तीन चुनावों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग आम आदमी पार्टी के कोर वोटर रहे हैं। लेकिन इस बार पार्टी इस समर्थन को बरकरार रखने में विफल रही। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने धनबल के जरिए इस वर्ग में पैठ बनाई और बड़ा वोट बैंक खींचने में कामयाब रही। झुग्गी-झोपड़ियों के मतदाताओं का यह बदलाव आप के लिए बड़ा झटका साबित हुआ।
आप के रणनीतिकारों के अनुसार, नामांकन के बाद पार्टी की इनडोर मीटिंग न करना भी हार का अहम कारण रहा। पिछले चुनावों में इनडोर मीटिंग मध्यम वर्ग के मतदाताओं को लुभाने में कारगर रही थीं, लेकिन इस बार आखिरी समय में ऐसी रणनीतियों में ढील दी गई, जिससे मतदाता निर्णायक रूप से पार्टी से दूर चले गए।
चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी अब भविष्य की रणनीति पर काम कर रही है। अब इन बातों पर आप का फोकस रहेगा।
पंजाब पर फोकस: पंजाब में अपनी सरकार को मजबूत करना और वहां चुनाव के लिए नए रणनीतिक कदम उठाना।
राष्ट्रीय विस्तार: दिल्ली के बाहर अन्य राज्यों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश।
मजबूत विपक्ष की भूमिका: दिल्ली में भाजपा द्वारा किए गए चुनावी वादों पर नजर रखना और सरकार को जवाबदेह बनाना।
संगठनात्मक सुधार: पार्टी में आंतरिक बदलाव लाना और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करना। यह हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका जरूर है, लेकिन अगर सही रणनीति अपनाई जाए तो पार्टी फिर से उभर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति में क्या बदलाव होता है।